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09 जुलाई 2011

कटिहार और किशनगंज मेडिकल कॉलेजों को लेना होगा दाखिला

कटिहार व किशनगंज के निजी मेडिकल कॉलेजों को सरकारी कोटे से पीजी में नामांकन करना ही पड़ेगा। उसकी अपील पटना उच्च न्यायालाय के मुख्य न्यायाधीश की पीठ ने निरस्त कर दी है। कॉलेजों ने एकल पीठ के आदेश के खिलाफ अपील की थी। एकल पीठ ने दोनों मेडिकल कॉलेजों से कहा था कि वे सरकारी कोटे से छात्रों का नामांकन करे। यह नामांकन 30 जून तक पूरी कर ले। छात्रों ने कहा था कि कानूनन दोनों कॉलेजों को सरकारी कोटेसे कुल सीट का 50 फीसदी सीटों पर नामांकन करना है। इस पर दोनों मेडिकल कॉलेजों ने कहा था कि वे अल्पसंख्यक कोटे के हैं और सरकार उनलोगों को कोई अनुदान नहीं देती है। वे सरकारी कोटे से छात्रों के नामांकन को बाध्य नहीं हैं। न्यायालय ने इससे पहले कटिहार मेडिकल कॉलेज व किशनगंज के माता गुजरी मेमोरियल मेडिकल कॉलेज के प्रबंधन से कहा था कि वे फिलहाल याचिकाकर्ताओं को पीजी का क्लास करने दें। न्यायालय के समक्ष लगभग 20 छात्रों ने कहा है कि उनलोगों को बिहार स्टेट इंट्रेंस इग्जामिनेशन बोर्ड ने इन कालेजों में नामांकन करा लेने को कहा है लेकिन कॉलेज प्रबंधन उनलोगों का नामांकन नहीं कर रहा है। कॉलेज प्रबंधन ने अपने कोटे से छात्रों का नामांकन कर लिया है जबकि सरकारी कोटे से छात्रों का नामांकन करना अनिवार्य है। मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया के वकील कुमार ब्रजनंदन ने कहा था कि कटिहार मेडिकल कॉलेज को पीजी के 38 सीटों पर नामांकन करने का अधिकार दिया गया है, लेकिन उसने 40 छात्रों को नामांकित कर लिया है। यह गलत है। साथ ही उसने यह भी नहीं बताया है कि नामांकन किस कोटे से की गयी है। छात्रों का कहना है कि इंट्रेंस बोर्ड ने अपने विज्ञापन में छह सीटें खाली होने की बात कही है। उसने उसके लिए काउंसिलिंग कर नामांकन करने को कहा लेकिन जव वे लोग मेडिकल कॉलेज गये तो उन्हें नामांकन में टालमटोल किया गया(राष्ट्रीय सहारा,पटना,9.7.11)।

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