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01 जुलाई 2011

यूपीःरिजल्ट में फिसड्डी विद्यालयों के खिलाफ शासन का कड़ा रुख

ज्ञान के मन्दिर में बच्चों के भविष्य तथा शिक्षा की गुणवत्ता से खिलवाड़ करने वालों विद्यालयों की अब खैर नहीं। अब ऐसे सभी विद्यालयों जिनका परीक्षाफल 20 प्रतिशत या उससे कम है को खराब रिजल्ट का कारण बताना पड़ेगा। साथ ही शासकीय विद्यालयों के प्रधानाचार्य व सम्बन्धित शिक्षकों पर कार्रवाई करते हुए वित्त विहीन की मान्यता रद कर सहायता प्राप्त अशासकीय विद्यालयों का अनुदान रोक दिया जाएगा। माध्यमिक शिक्षा परिषद की हाईस्कूल व इण्टरमीडिएट की परीक्षा में घटिया रिजल्ट देने वाले विद्यालयों के प्रति शासन ने कड़ा रुख अख्तियार कर लिया है। शिक्षा निदेशक ने पत्र जारी कर सभी संयुक्त शिक्षा निदेशकों व जिला विद्यालय निरीक्षकों से अपने कर्तव्यों के प्रति उदासीन व गैर जिम्मेदार प्रबन्धकों व प्रधानाचायरे को कारण बताओ नोटिस जारी कर स्पष्टीकरण मांगने के लिए कहा और जवाब संतोषजनक न होने पर सम्बन्धित लोगों के विरुद्ध कार्रवाई के सख्त निर्देश भी दिये हैं। शैक्षिक सत्र 2010-11 की बोर्ड परीक्षा में 20 प्रतिशत या उससे कम परीक्षाफल देने वाले प्रदेश के 345 शासकीय, अशासकीय सहायता प्राप्त व वित्तविहीन विद्यालयों के खिलाफ शिक्षा निदेशक माध्यमिक संजय मोहन ने प्रदेश के सभी संयुक्त शिक्षा निदेशकों व जिला विद्यालय निरीक्षकों को पत्रांक/डी.ई./ 149-296/ 2011-12 के अन्तर्गत पत्र जारी कर रिजल्ट में फिसड्डी विद्यालयों से स्पष्टीकरण मांगने तथा संतोषजनक जवाब न मिलने पर कार्रवाई के निर्देश दिये हैं। शिक्षा निदेशक के इस फरमान के बाद पूरे प्रदेश में कार्रवाई की जद में आने वाले विद्यालयों के प्रबन्धतंत्र व प्रधानाचायरे में अफरा-तफरी मची हुई है। 17 जून 2011 को जारी इस निर्देश में 30 जून तक सभी विद्यालयों पर की गयी कार्रवाई की आख्या भेजने की भी बात कही गयी थी। जिसके सापेक्ष प्रदेश के 13 राजकीय विद्यालयों के प्रधानाचायरे व अध्यापकों को कारण बताओ नोटिस जारी की जा चुकी है तथा उनसे प्राप्त स्पष्टीकरण के परीक्षण व अनुशासनात्मक कार्रवाई प्रचलन में है। इसी प्रकार 42 अशासकीय सहायता प्राप्त विद्यालयों को भी नोटिस जारी कर उनसे गुणवत्ता विहीन परीक्षाफल के बारे में पूछा गया है तथा कहा गया है कि क्यों न इस लापरवाही के लिए विद्यालय के अनुदान को रोक दिया जाए। बाकी बचे 290 अशासकीय वित्तविहीन विद्यालयों को नोटिस भेजकर मान्यता प्रत्याहरण की बात कही गयी है। शासन के इस कड़े रुख के बाद सभी प्रबन्धक, प्रधानाचार्य व अध्यापकों में हड़कम्प मचा हुआ है। इस आदेश से बोर्ड परीक्षा में 20 फीसदी या उससे कम रिजल्ट देने वाले प्रदेश के 202 हाईस्कूल व 143 इण्टरमीडिएट कालेज कार्रवाई की जद में आ गये हैं। इनमें आठ हाईस्कूल व पांच इण्टरमीडिएट स्तर के शासकीय विद्यालय, अशासकीय सहायता प्राप्त विद्यालयों में 28 हाईस्कूल व 14 इण्टरमीडिएट तथा अशासकीय वित्तविहीन विद्यालयों में 166 हाईस्कूल व 124 इण्टरमीडिएट कालेज शामिल हैं। पिछले कुछ वर्षो से शैक्षिक गुणवत्ता में गिरावट आयी है। खास कर यह गिरावट राजकीय विद्यालयों में ज्यादा देखी गयी है(राष्ट्रीय सहारा,रायबरेली,1.7.11)।

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