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13 जुलाई 2011

डीयूः ओबीसी सीटें जनरल को नहीं मिलेंगी,छात्र निराश

दिल्ली यूनिवर्सिटी के कॉलेजों में ओबीसी की बची सीटों के कन्वर्जन का इंतजार कर रहे जनरल कैटिगरी के स्टूडेंट्स की उम्मीदों को बड़ा झटका लगा है। यूनिवर्सिटी ने कॉलेजों को ओबीसी की सीट जनरल को अलॉट करने पर रोक लगा दी है। साथ ही ओबीसी की सीटों को भरने के लिए नई गाइडलाइंस जारी कर दी हैं। अब ओबीसी के लिए 2 और कट ऑफ लिस्टें निकाली जाएंगी।

यूनिवर्सिटी ने नया नोटिस जारी कर कहा है कि जिन कॉलेजों में ओबीसी की सीटें बची हैं , वे 19 जुलाई तक ओबीसी के लिए ऐडमिशन ओपन रखें। कॉलेजों को ओबीसी कैटिगरी के स्टूडेंट्स के लिए दो और कट ऑफ लिस्ट जारी करने को कहा गया है। यूनिवर्सिटी ने ओबीसी की सीटों को जनरल में कन्वर्ट करने पर रोक लगा दी है।

ओबीसी सीटों का कन्वर्जन रोकने का फैसला डीयू ने एहतियात के तौर पर लिया है। दरअसल 19 जुलाई को हाई कोर्ट और 20 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट में ओबीसी रिजर्वेशन के मसले पर सुनवाई होनी है और यूनिवर्सिटी की नजर कोर्ट में होने वाली इन दोनों सुनवाई पर है।

हालांकि इस बारे में डीयू के रजिस्ट्रार आर. के. सिन्हा का कहना है कि यूनिवर्सिटी चाहती है कि ओबीसी की सारी सीटें भर जाएं और इसी को ध्यान में रखते हुए फिलहाल ओबीसी की सीटों के कन्वर्जन पर रोक लगाई गई है। 19 जुलाई तक ओबीसी के ऐडमिशन ओपन रहेंगे। गौरतलब है कि डीयू के कॉलेजों में ओबीसी की बची हुई सीटें 15 जुलाई को जनरल कैटिगरी में कन्वर्ट की जानी थीं। अगर सातवीं लिस्ट के बाद भी ओबीसी की सीटें बचती हैं तो क्या होगा , इस सवाल के जवाब में यूनिवर्सिटी अभी कुछ साफ नहीं कर रही है(भूपेंद्र,नवभारत टाइम्स,दिल्ली,13.7.11)।

दैनिक हिंदुस्तान की रिपोर्टः
दिल्ली विश्वविद्यालय का नया फरमान सामान्य वर्ग के छात्रों के लिए निराशा लेकर आई है। जिन छात्रों का दाखिला अभी नहीं हुआ था उनके लिए ओबीसी सीटों का सामान्य वर्ग के लिए परिवर्तन एक अहम और आखिरी मौका था।

ज्यादातर कॉलेज भी दस प्रतिशत की छूट दे चुके हैं। ऐसे में परिवर्तन पर रोक से छात्रों को कुछ और समय इंतजार करना पड़ सकता है। इतना ही नहीं सीटें भी कम ही परिवर्तित होंगी। दिल्ली विश्वविद्यालय के हिन्दू कॉलेज में दाखिला लेने के लिए इंतजार करने वाली छाया शर्मा ने बताया कि वह ओबीसी सीटों के परिवर्तन का इंतजार कर रहीं थीं। वह अभी वेटिंग लिस्ट में है। लेकिन ओबीसी के लिए दो और कटऑफ की वजह से उनकी उम्मीदों पर पानी फिरता नजर आ रहा है। वहीं जो कॉलेज पहले ही दस प्रतिशत की छूट दे चुका है वहां भी दाखिले पर रोक लग गई है। जाहिर है इस साल ओबीसी की सीटें कम परिवर्तित होंगी।

राष्ट्रीय सहारा की रिपोर्टः
ओबीसी वर्ग के विद्यार्थियों के लिए बड़ी राहत की खबर है। डीयू ने पहली बार ओबीसी वर्ग की सभी सीटें नहीं भरने तक एडमिशन प्रोसेस जारी रखने का फैसला किया है। यानी हर बार की तरह ओबीसी की बची सीटें सामान्य में नहीं परिवर्तित होंगी। इस कैटिगरी की सीटों को भरने के लिए डीयू दो और कटऑफ निकालेगी। यानी छठी और सातवीं कटऑफ 14 जुलाई और 17 जुलाई को जारी की जाएगी। कटऑफ के आधार पर दाखिले के लिए दो दिन दिए जाएंगे। डीयू के रजिस्ट्रार राजेश कुमार सिन्हा ने कहा कि विविद्यालय की यह नीति शुरू से रही है कि ओबीसी की सीटों को ओबीसी वर्ग के विद्यार्थियों से भरी जाए। हालांकि पिछले तीन साल में हर साल इस कैटिगरी की कुछ सीटें खाली रह जाती हैं। चूंकि अब यह मामला कोर्ट में है, इसलिए विवि ने फैसला लिया है कि जब तक ओबीसी की सीटें नहीं भर जातीं, तब तक दाखिला प्रक्रिया जारी रखी जाए। डीयू के इस फैसले के बाद अब 15 जुलाई को ओबीसी की बची सीटें सामान्य वर्ग में परिवर्तित नहीं की जाएंगी। डीयू के फैसले के मुताबिक जिन कॉलेजों ने अब तक ओबीसी वर्ग के विद्यार्थियों को विभिन्न कोर्सेज में 10 फीसद की छूट नहीं दी है, उन्हें सीटें खाली रह जाने पर 13 जुलाई रात 8 बजे तक अपनी नई कटऑफ यूनिवर्सिटी को भेजनी होगी। इस कटआफ को डीयू 14 जुलाई को घोषित करेगी। इस कटऑफ के बेस पर 15 और 16 जुलाई को ओबीसी कैटिगरी के दाखिले होंगे। इसके बाद भी जिन कॉलेजों में इस वर्ग की सीटें बच जाएंगी, उन्हें सातवीं कटआफ 16 जुलाई रात 8 बजे तक विविद्यालय को भेजनी होगी। इसे 17 जुलाई को जारी किया जाएगा और इसके बेस पर 18 और 19 जुलाई को एडमिशन प्रोसेस चलेगा। डॉ. सिन्हा ने कहा कि इसके बाद भी सीटें खाली रहने पर बाद में फैसला लिया जाएगा। गौरतलब है कि विविद्यालय के 60 से अधिक कॉलेजों में ओबीसी की कुल 14 हजार 580 सीटें हैं। लेकिन हर साल कुछ हजार सीटें खाली रह जाती हैं। इन खाली सीटों को हर साल दाखिला प्रक्रिया खत्म होने के दो दिन बाद सामान्य वर्ग में परिवर्तित कर दिया जाता था। सामान्य वर्ग में परिवर्तित होने के बाद इन सीटों पर कुछ कॉलेज तो दाखिला करते हैं, लेकिन कुछ कॉलेज सामान्य वर्ग में पहले ही सीटें भर जाने के चलते दाखिला नहीं करते हैं। बताया जाता है कि बीते साल करीब 3901 सीटें खाली रह गई थीं। इन्हें बाद में सामान्य वर्ग में परिवर्तित करना पड़ा था।

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