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18 जुलाई 2011

एम्स में दोबारा होगी नर्सिंग कोर्स की काउंसलिंग!

एम्स में एमएससी और बीएससी नर्सिग कोर्स की दोबारा काउंसलिंग की जाएगी। सोमवार को इसकी आधिकारिक घोषणा हो सकती है। नर्सिग कोर्सो के दाखिले में आरक्षण नीति का उल्लंघन किए जाने के आरोपों के मद्देनजर यह निर्णय लिया गया है।

गौरतलब है कि एमएससी नर्सिग और बीएससी नर्सिग कोर्स दाखिले में अनुसूचित जाति व जनजाति के छात्रों को मानक आरक्षण नहीं दिया गया था। एमएससी नर्सिग कोर्स में तो ऐसे छात्रों को आरक्षण देने से संस्थान ने पूरी तरह से इनकार कर दिया था, जबकि बीएससी नर्सिग कोर्स के लिए तय मानक से कम सीटें आरक्षित की गई थीं। दैनिक भास्कर ने नौ जुलाई को ‘एम्स में आरक्षण नीति का उल्लंघन’ शीर्षक से खबर छापी थी।


एम्स प्रशासन के एक आला अधिकारी ने बताया कि एमएससी नर्सिग कोर्स के कुल 18 सीटों में से अनुसूचित जाति व जनजाति के छात्रों के लिए एक भी सीट आरक्षित नहीं रखी गई थी। 

इतना ही नहीं मेरिट लिस्ट में पिछड़ा वर्ग के जो छात्र सामान्य श्रेणी के अंतर्गत आ गए थे, उन्हें सामान्य श्रेणी के बजाय कोटे का सीट प्रदान कर दिया गया। मोहिता रानी, पार्वती जोशी और सरिता का नाम मेरिट लिस्ट में सामान्य श्रेणी के अंतर्गत है। इसके बावजूद उन्हें कोटे की सीट आवंटित कर दी गई। 

इसके चलते वास्तविक रूप से ओबीसी कोटे में इस वर्ग के केवल एक छात्र को ही दाखिला दिया गया। इसका विरोध होने पर दोबारा काउंसलिंग की जाने की उम्मीद है। 

हालांकि एससी व एसटी छात्रों को एक भी सीट क्यों नहीं प्रदान की गई, इस पर उन्होंने चुप्पी साध ली। उधर, एम्स में बुधवार को एससी-एसटी आयोग की एक सुनवाई होनी है। 

सूत्रों के मुताबिक सुनवाई के दौरान एससी व एसटी छात्र इस समस्या से संबंधित प्रस्तुति आयोग के समक्ष देंगे। हालांकि इससे संबंधित शिकायत आयोग को पहले ही दी जा चुकी है, लेकिन अब तक कोई भी कार्रवाई नहीं हुई है। 

गौरतलब है कि बीएससी नर्सिग के कुल 60 सीटों में से एससी व एसटी वर्ग के लिए केवल 11 सीटें अनारक्षित रखी गई हैं, जबकि केंद्र सरकार की आरक्षण नीति के मुताबिक एससी वर्ग के लिए 15 फीसदी और एसटी वर्ग के लिए 7.5 फीसदी सीटें आरक्षित होनी चाहिए। 

एमबीबीएस और पोस्ट ग्रेजुएट कोर्स में दाखिले के समय भी संस्थान में आरक्षण नीति को ठेंगा दिखाया गया था। 

फोरम फॉर राइट्स एंड इक्वलिटी (एम्स) के एक सदस्य का कहना है कि संस्थान का निदेशक डॉ. आरसी डेका, संस्थान के सब डीन (एकेडमिक) डॉ. राकेश यादव, प्रोफेसर इंचार्ज (परीक्षा) डॉ. केके वर्मा और सब डीन (परीक्षा) डॉ. नंद कुमार सभी पिछड़े जाति से आते हैं। इसके बावजूद एससी, एसटी और अन्य पिछड़े वर्ग के छात्रों के साथ यहां भेदभाव बरता जा रहा है(धनंजय कुमार,दैनिक भास्कर,दिल्ली,18.7.11)।

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