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10 अगस्त 2011

गुरु घासीदास सेंट्रल यूनिवर्सिटी का शार्ट अटेंडेंस मामला : रजिस्टर गलत, 253 छात्राएं नियमित

नवीन कन्या कालेज में छात्राओं के शार्ट अटेंडेंस के मामले में हाईकोर्ट ने कालेज के अटेंडेंस रजिस्टर को गलत ठहराते हुए बीए, बीकॉम और बीसीए की सभी छात्राओं को नियमित मानने का आदेश दिया है। हाईकोर्ट ने रोके गए नतीजे एक सप्ताह के भीतर घोषित करने के लिए कहा है। इसी तरह सेंट्रल यूनिवर्सिटी के रजिस्ट्रार को न्यायिक समिति का सदस्य होने के बाद भी अलग से रिपोर्ट जमा करने पर आपत्ति जताते हुए कहा है कि उन्हें सदस्य होने के नाते समिति पर अपनी निष्ठा रखनी थी।

गुरु घासीदास सेंट्रल यूनिवर्सिटी ने नवीन कन्या कालेज की बीए, बीकॉम व बीसीए की 253 छात्राओं को शार्ट अटेंडेंस के आधार पर नियमित परीक्षा से वंचित कर दिया था। छात्राओं की याचिका पर हाईकोर्ट ने उन्हें नियमित परीक्षार्थी के रूप में शामिल होने की अनुमति दी, साथ ही इस मामले को अंतिम फैसले से बाधित रखा था। सेंट्रल यूनिवर्सिटी के कुलपति डा. लक्ष्मण चतुर्वेदी सहित तीन को नोटिस जारी किया गया था।

मामले की जांच के लिए हाईकोर्ट के पूर्व जस्टिस वीके श्रीवास्तव की अध्यक्षता में न्यायिक समिति बनाई गई थी, जिसमें सेंट्रल यूनिवर्सिटी के प्रभारी रजिस्ट्रार प्रो. एमएस खोखर, उच्च शिक्षा विभाग के डिप्टी डायरेक्टर डा. बीएल गोयल व अधिवक्ता सुनील ओटवानी भी शामिल थे। समिति ने अपनी रिपोर्ट में कालेज के अटेंडेंस रजिस्टर और सेंट्रल यूनिवर्सिटी को गलत बताया था। प्रो. खोखर ने अपनी रिपोर्ट अलग से सौंपी थी। इसी आधार पर हाईकोर्ट ने इस मामले में अपना फैसला सुनाया है।

समिति पर रखनी थी निष्ठा


हाईकोर्ट ने सेंट्रल यूनिवर्सिटी के रजिस्ट्रार प्रो. एमएस खोखर द्वारा समिति का सदस्य होने के बाद भी अलग से अपनी रिपोर्ट सौंपने को गलत बताते हुए कहा है कि जब हाईकोर्ट ने उन्हें समिति का सदस्य नियुक्त किया था तो उनकी निष्ठा समिति के प्रति होनी चाहिए थी। ऐसा करने के बजाय उन्होंने यूनिवर्सिटी के प्रति अपनी निष्ठा बताते हुए अलग रिपोर्ट सौंपी, जो उचित नहीं है। जानकारी के अनुसार हाईकोर्ट ने खोखर द्वारा जमा की गई अलग रिपोर्ट को खारिज कर दिया है। 

7 दिनों में घोषित करें नतीजे 

सेंट्रल यूनिवर्सिटी ने गल्र्स कालेज के किसी भी संकाय का रिजल्ट घोषित नहीं किया था। इससे हाईकोर्ट में याचिका दायर न करने वाली छात्राओं को भी रिजल्ट का इंतजार था। नतीजे न आने से वे किसी भी कोर्स में प्रवेश भी नहीं ले सकी थीं। अपने फैसले में हाईकोर्ट ने यूनिवर्सिटी को रोके गए सभी नतीजे एक सप्ताह के भीतर घोषित करने के निर्देश दिए हैं।

दुर्भावनापूर्ण था प्रोफेसर सुनंदा का काम

फैसले में गल्र्स कालेज की डा. सुनंदा मरावी द्वारा छात्राओं को शार्ट अटेंडेंस बताने के काम को हाईकोर्ट ने दुर्भावना से किया जाना माना है। कहा गया है कि जांच में यह तथ्य सामने आया है कि जब २९ जुलाई को अटेंडेंस रजिस्टर मिलने की जानकारी दी गई है तो फिर उसमें १५ जुलाई का अटेंडेंस किस तरह भरा जा सकता है?(दैनिक भास्कर,बिलासपुर,10.8.11)

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