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09 अगस्त 2011

जेपीएससी नियुक्ति घोटाले में 3 के खिलाफ चार्जशीट

निगरानी ब्यूरो ने जेपीएससी नियुक्ति घोटाले से संबंधित तीन अलग-अलग मामलों में सहायक अभियंता नियुक्ति मामला (निगरानी थाना कांड संख्या 11/11), फार्मेसी संस्थान में व्याख्याता सह प्राध्यापक नियुक्ति घोटाला (कांड संख्या 12/11)एवं सिदो कान्हू विश्वविद्यालय दुमका एवं रांची विश्वविद्यालय के लिए डिप्टी रजिस्ट्रार नियुक्ति घोटाला (कांड संख्या 13/11) में आरोप पत्र के साथ अभियोजन स्वीकृति आदेश दाखिल कर दिया।

आरोप पत्र में आयोग के तत्कालीन तीन पदाधिकारियों को इसके लिए दोषी बताया गया है। तीनों ही कांडों में आयोग के अध्यक्ष रहे दिलीप कुमार प्रसाद, पूर्व सदस्य शांति देवी एवं पूर्व सचिव एलिस उषा रानी को दोषी ठहराया गया है। ये तीनों अभियुक्त फिलहाल जेल में हैं। तीनों मामलों में अनुसंधानक कामेश्वर प्रसाद, अलीमुद्दीन खां एवं जयंत कुमार सिंह ने अलग अलग आरोप पत्र दाखिल किया।

क्या है आरोप

कांड संख्या 11/11 : निर्धारित मापदंड से अधिक उम्मीदवारों को साक्षात्कार के लिए बुलाया गया। अंकों को ओवर राइटिंग कर बढ़ाया गया। प्रश्न पत्र लीक हो जाने के बाद भी परीक्षा स्थगित नहीं की गई।


कांड संख्या 12/11 : नियुक्ति की अनुशंसा में संवैधानिक पद का दुरुपयोग किया गया। नियमों का उल्लंघन किया गया। स्थानीय विशेषज्ञों से साक्षात्कार कराया व आधे-अधूरे आवेदन पत्र वाले का चयन कर लिया गया।कांड संख्या 13/11 : डिप्टी रजिस्ट्रार के लिए साक्षात्कार से चयन होना था। आयोग के पूर्व सदस्य डॉ. गोपाल सिंह के भाई शंभू प्रसाद सिंह को मैट्रिक में द्वितीय श्रेणी में उत्तीर्ण के बावजूद प्रथम श्रेणी से उत्तीर्ण होने का 5 अंक दिया गया। 

रांची विवि में साक्षात्कार के लिए 24 उम्मीदवारों को बुलाया गया। बोर्ड के अध्यक्ष गोपाल प्रसाद सिंह ने दिलीप प्रसाद के भाई प्रीतम को 24 अंक देकर डिप्टी रजिस्ट्रार के लिए चयन कर दिया गया। उस समय दिलीप प्रसाद आयोग के अध्यक्ष थे(दैनिक भास्कर,रांची,9.8.11)।

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