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04 अगस्त 2011

एम्स परीक्षाओं की गड़बड़ी में 4 नए मामले दर्ज

अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स)की एमबीबीएस और पीजी की प्रवेश परीक्षाओं की उत्तर पुस्तिकाओं और नतीजों में गड़बड़ियों को लेकर सीबीआई ने बुधवार को चार नए मामले दर्ज किए हैं। जांच एजेंसी को संदेह है कि एम्स के वरिष्ठ अधिकारी इस रैकेट में शामिल हो सकते हैं। इसके पूर्व 2 जून को सीबीआई ने 8 मई को हुई एम्स की पीजी प्रवेश परीक्षा में गड़बड़ी को लेकर मामला दर्ज कर छह लोगों को गिरफ्तार किया था।

इस सिलसिले में दर्ज किए गए नए मामले

-जनवरी 2010 की पीजी परीक्षा में सात परीक्षार्थियों की कॉपियां बदलने का आरोप है। इन सभी सात का अन्य कॉलेजों में एमडी या एमएस में चयन हो गया। एम्स की पीजी प्रवेश परीक्षा से दूसरे मेडिकल कॉलेजों में भी चयन होता है।

-जून 2010 में एमबीबीएस प्रवेश परीक्षा में छह कॉपियों में फेरबदल किया गया। संबंधित छह छात्रों में से एक को प्रतिष्ठित संस्थान में प्रवेश मिल गया। 


- नवंबर 2010 में हुई पीजी परीक्षा में आठ छात्रों की कॉपियों में गड़बड़ी की गई। सभी आठ मेरिट लिस्ट में जगह बनाने में कामयाब रहे। इनमें से ही तीन को एम्स में एमडी या एमएस में ही प्रवेश मिल गया। 

- जनवरी 2011 में हुई पीजी प्रवेश परीक्षा में चार उम्मीदवारों की कॉपियों में गड़बड़ी की गई। चारों को विभिन्न मेडिकल कालेजों में एमडी या एमएस कोर्स में प्रवेश मिल गया(दैनिक भास्कर,दिल्ली,4.8.11)।

दैनिक जागरण की रिपोर्टः
मेडिकल पाठ्यक्रमों में नामांकन के लिए अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) द्वारा आयोजित प्रवेश परीक्षाओं पर सवालिया निशान लग गया है। 2010 और 2011 के दौरान एम्स द्वारा आयोजित प्रवेश परीक्षाओं में बड़े पैमाने पर धांधली का आरोप लगाते हुए सीबीआइ ने चार एफआइआर दर्ज की हैं। इसके पहले मई 2011 में हुई पीजी प्रवेश परीक्षा में हुई धांधली के आरोप में सीबीआइ एफआइआर दर्ज कर छह आरोपियों को गिरफ्तार कर चुकी है। सीबीआइ के अनुसार इनके पीछे भी इसी गिरोह का हाथ है। सीबीआइ के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि जनवरी 2010 से जनवरी 2011 के बीच एम्स द्वारा आयोजित चार प्रवेश परीक्षाओं में धांधली के सबूत मिले हैं। इनमें 25 छात्रों को फर्जी तरीके से पास कराने के सबूत मिले हैं। वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि इसके लिए इन छात्रों से 10 लाख रुपये से एक करोड़ रुपये तक की रिश्वत ली गई थी। इन सभी परीक्षाओं में इस गिरोह का काम करने का तरीका एक ही था। पैसे देने वालों छात्रों की कम्प्यूटर से पढ़ी जाने वाली (ऑप्टिकल मार्क रीडर-ओएमआर) उत्तर पुस्तिकाओं को ही बदल दिया जाता था। सीबीआइ ने इन बदली हुई उत्तर पुस्तिकाओं को ढूंढ निकाला है। जिन मामलों में सीबीआइ ने एफआइआर दर्ज की है, उनमें पहली जनवरी 2010 में हुई पीजी प्रवेश परीक्षा है। इसमें कुल सात छात्रों को रिश्वत लेकर इस गिरोह ने पास करा दिया था। इसके आधार पर इन सभी छात्रों को देश के विभिन्न मेडिकल कालेजों में एमडी और एमएस कोर्स में नामांकन मिल चुका है। इसके बाद इस गिरोह ने जून 2010 में एमबीबीएस में प्रवेश के लिए हुई परीक्षा में ही छह छात्रों को रिश्वत लेकर उत्तीर्ण करा दिया था। इसी तरह नवंबर 2010 और जनवरी 2011 में पीजी प्रवेश परीक्षाओं में भी इस गिरोह ने आठ और चार छात्रों को पैसे लेकर पास कराया था। लेकिन मई 2011 में हुई पीजी प्रवेश परीक्षा में इसी तरह की धांधली की भनक सीबीआइ को लग गई और उसने दो जून को एफआइआर दर्ज कर मामले की जांच शुरू कर दी। इस सिलसिले में सीबीआइ सभी छह आरोपियों को गिरफ्तार कर चुकी है।

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