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12 अगस्त 2011

उत्तराखंडःबच्चों और मां-बाप की परीक्षा लेने पर 50 हजार तक दंड का प्रावधान,प्रारंभिक शिक्षा तक कोई बोर्ड परीक्षा नहीं

प्रदेश में किसी भी स्कूल में प्रवेश पर बच्चे या माता-पिता या अभिवावकों का टेस्ट लेने या स्क्रीनिंग और कैपिटेशन फीस पर पाबंदी लगा दी गई है। शासनादेश के मुताबिक बच्चे की स्क्रीनिंग करने पर पहली बार 25 हजार रुपये का अर्थदंड लगाया जाएगा जबकि इसके बाद हर बार उल्लंघन पर 50 हजार रुपये तक का अर्थदंड लगाया जाएगा। इसी के साथ स्कूल की फीस के अलावा अगर डोनेशन, अंशदान या अन्य भुगतान की मांग की गई तो स्कूल पर मांगे गए कैपिटेशन शुल्क का 10 गुना तक दंड वसूला जाएगा। शासन ने साफ किया है कि स्क्रीनिंग का अर्थ यह है कि प्रवेश के लिए ऐसी चयन की प्रक्रिया अपनाई गई हो जिसके आधार पर एक बच्चे को दूसरे पर वरीयता देकर प्रवेश दिया जा रहा हो।

अब कोई नहीं होगा फेल

देहरादून। प्रदेश में बच्चों को किसी भी स्कूल फेल नहीं किया जा सकेगा। यही नहीं प्राथमिक शिक्षा पूरी होने तक उसे न तो किसी कक्षा में रोका जा सकेगा न स्कूल से निष्काषित किया जा सकेगा। अगर किसी निजी या सरकारी विद्यालय ने इस प्राविधान का उल्लंघन किया तो उसके प्रधानाचार्य और प्रबंधन के विरुद्ध लागू सेवा नियमावली के आधार पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी।

निजी टय़ूशन पर भी पाबंदी


देहरादून। शासनादेश के बाद अब प्रदेश में कोई भी शिक्षक निजी टय़ूशन नहीं पढ़ा सकेगा। शासन ने साफ किया है कि आरटीई कानून के तहत विद्यालय परिसर या परिसर के बाहर निजी टय़ूशन को तत्काल प्रभाव से प्रतिबंधित कर दिया गया है। अगर इसके बावजूद कोईशिक्षक टय़ूशन पढ़ाता पाया गया औरसके व उसके स्कूल के अधिकारियों या प्रबंध तंत्र ने मामला संज्ञान में आने के वावजूद कार्रवाई नहीं की तो उनके विरुद्ध अनुशासनात्मक व सेवा नियमावली के तहत र्कावाई की जाएगी।

प्रारंभिक शिक्षा तक कोई बोर्ड परीक्षा नहीं

प्रदेश में प्रारंभिक शिक्षा पूरी होने तक बच्चों को कोई बोर्ड परीक्षा नहीं देनी होगी। शासन ने इस बाबत निर्देश जारी किए हैं। शासन ने प्रदेश के शैक्षिक प्राधिकारी राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद, नरेंद्र नगर को भी निर्देश दिए हैं कि वह शिक्षा का अधिकार कानून के तहत प्रारंभिक शिक्षा के पूरा होने पर शिक्षा के प्रमाण पत्र का प्रारूप तय करे(राष्ट्रीय सहारा,देहरादून,12.8.11)।

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