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26 अगस्त 2011

राजस्थानः62 हजार सीट हैं ज्यादा, 2017 तक बीएड कॉलेज न खोलने का सुझाव

प्रदेश के बीएड कॉलेजों में 62 हजार सीटें जरूरत से ज्यादा हैं। ऐसे में वर्ष 2017 तक नए कॉलेज खोलना उचित नहीं है। एनसीटीई ने एक रिपोर्ट जारी कर ये सुझावदिए हैं। इधर, इस साल बीएड कॉलेजों मेंसाढ़े सात हजार और बीएसटीसी में तीनहजार से अधिक सीटें अब भी खाली पड़ी हैं, जिन्हें भरने के लिए काउंसलिंग के लिएकॉलेज संचालक शिक्षा मंत्री तक चक्कर लगा रहे हैं। खाली सीटों की स्थिति के बीच एनसीटीई की सर्वे रिपोर्ट बीएड कॉलेज संचालकों के लिए मुसीबत भरी है, तो विधानसभा में उठे एक सवाल ने शिक्षा विभाग सहित कॉलेज संचालकों में हलचल मचा दी है।

ये है एनसीईटी की रिपोर्ट


एनसीटीई की रिपोर्ट पर गौर करें तो प्रदेश में 62 हजार 137 सीटें जरूरत से ज्यादा बताते हुए कहा गया है कि वर्ष 2016-17 तक नए कॉलेज नहीं खोले जाएं। तो बीएसटीसी में 6078 सीटें जरूरत से ज्यादा हंै। सात सालों में धड़ाधड़ खुले कॉलेजों की वजह से 90 हजार सीटें हो गई हंै। दो साल पहले 500 कॉलेज मान्यता की कतार में थे और इन दो दिनों में करीब 300 फाइलें और लग गई। यानी बीएड कॉलेज खोलने में इनवेस्ट अब भी सबसे ज्यादा है।
क्यों बनी ऐसी स्थिति : नौकरियों के अवसर लगातार कम हो रहे हैं तो टेट की वजह से भी रुझान कम हो रहा है। जबकि बीएड कॉलेजों में पांच सालों के दरमियान सबसे अधिक वृद्धि हुई। पिछले तीन सालों में शिक्षा विभाग में नौकरी के दरवाजे बंद ही रहे हैं। जबकि हर साल राज्य के करीब एक लाख से अधिक स्टूडेंट बीएड कर रहे हैं।

क्या होगा असर : सरकार पर कॉलेजों को मान्यता देने का दबाव है, मगरएनसीटीई अपना रुख पहले ही साफ कर चुकी है। ऐसे में 2017 तक नएकॉलेज खुलने मुश्किल है तो कम होता रुझान और खाली होती सीटें कईकॉलेजों पर ताले लगवा देगा।

11 हजार सीटें खाली : कॉलेज संचालक चिंतित

इस साल पहली काउंसलिंग के बाद बीएड में साढ़े सात और बीएसटीसी में तीन हजार सीटें खाली है। दूसरी काउंसलिंग के लिए कॉलेज संचालक लगातार सरकार पर दबाव बना रहे हैं। इधर, फाइल शिक्षा मंत्री मास्टर भंवरलाल मेघवाल के पास पेंडिंग हैं। 

क्यों बनी ऐसी स्थिति : हर साल एक लाख 80 हजार के करीबन स्टूडेंट्स पीटीईटीमें शामिल होते हैं, मगर इस 28 हजार स्टूडेंट कम पहुंचे। सिर्फ डेढ़ लाख विद्यार्थीही परीक्षा में शामिल हुए। राज्य में 90 हजार सीटें है। नौकरियों के घटते अवसरोंपर स्टूडेंट्स को बीएड से दूर करना शुरू कर दिया है। वहीं 25 हजार स्टूडेंट्स जम्मू सहित अन्य राज्यों से बीएड कर लेते हैं। तो प्रदेश में सात लाख बीएड धारीबेरोजगार हैं।

क्या होगा असर : पीटीईटी की नोडल एजेंसी ने इस बार परीक्षा देने वाले सभी स्टूडेंट्स से दो हजार रुपए ले रहा है। जबकि पहले मेरिट के आधार पर फीस ही ली जाती थी। कहा गया है कि काउंसलिंग के बाद सलेक्ट नहीं होने वाले विद्यार्थी को 1500 रुपए लौटा दिए जाएंगे। यानी यूनिवर्सिटी ने तो कमाई का जरिया ढूंढा, मगर सीटें खाली रहने की समस्या कॉलेजों के मत्थे मंढ दी। राजस्थान प्रदेश निजी कॉलेजसंघ के अध्यक्ष नवरंग चौधरी ने बताया कि पिछले साल 12 हजार सीटें खाली रह गई थी। अगर ऐसे ही हालात इस बार भी रहे हैं तो कॉलेज बंद होने लगेंगे। सरकार कोजल्द कदम उठाने चाहिए।

‘‘ जिस अनुपात में बीएड धारी तैयार हो रहे हैं, उस अनुपात में नौकरियां नहीं हंै। एनसीटीई की रिपोर्ट के तहत अगले पांच-छह साल में नए कॉलेज खोलना मुश्किल है।
अशोक संपतराम, प्रमुख शासन सचिव,स्कूल शिक्षा(अरविंद शर्मा,दैनिक भास्कर,सीकर,26.8.11)

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