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27 अगस्त 2011

देवी अहिल्या विविः90 के बजाय अब सिर्फ 60 दिन होगी पढ़ाई,पीएचडी प्रवेश परीक्षा का नियम लागू

उच्च शिक्षा को लेकर शुक्रवार का दिन खास रहा। भोपाल में उच्च शिक्षा विभाग की समीक्षा बैठक में परीक्षाओं की लेटलतीफी खत्म करने और सेमेस्टर सिस्टम को पटरी पर लाने के लिए कई अहम निर्णय लिए गए, वहीं स्टैंडिंग कमेटी ने तय किया कि अब पीएचडी करने के लिए प्रवेश परीक्षा अनिवार्य होगी।

उच्च शिक्षा विभाग की समीक्षा बैठक में कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए। अब प्रत्येक सेमेस्टर में 90 के बजाय 60 दिन पढ़ाई होगी। वहीं, पीरियड 40 के बजाय 60 मिनट का होगा। हालांकि सेमेस्टर को 70 दिन और पीरियड को 55 मिनट करने का भी सुझाव आया है। गजट नोटिफिकेशन एक-दो दिन में होगा।

यह भी तय किया गया है कि प्राइवेट परीक्षा के लिए भी सेमेस्टर सिस्टम लागू होगा। इसी सत्र से एक प्रश्न-पत्र प्रणाली भी लागू की जा रही है। इससे बीकॉम, बीए और बीएससी में नौ के बजाय पांच प्रश्न-पत्र ही होंगे। अब देवी अहिल्या यूनिवर्सिटी को पूर्व में लिए गए उस निर्णय को भी दमदारी से लागू करना होगा, जिसके तहत सेमेस्टर परीक्षा में पुनर्मूल्यांकन का सिस्टम खत्म किया जाएगा।

यूनिवर्सिटी की तारीफ

60 दिन में कोर्स पूरा करवाकर बीकॉम छठे सेमेस्टर की परीक्षा लेने के देवी अहिल्या यूनिवर्सिटी के निर्णय की तारीफ भी की गई। आला अफसरों ने यूनिवर्सिटी द्वारा प्रोफेसरों की 45 दिन की छुट्टियां निरस्त कर उन्हें अर्जित अवकाश देने के निर्णय की भी सराहना की। बैठक में कुलपति डॉ. पी.के. मिश्रा, रजिस्ट्रार डॉ. आर.डी. मूसलगावकर भी मौजूद थे। अतिरिक्त संचालक डॉ. नरेंद्र धाकड़ का कहना है कि निर्णयों को जल्द लागू किया जाएगा।
पीएचडी : प्रवेश परीक्षा का नियम लागू
स्टैंडिंग कमेटी ने भोपाल में हुई बैठक में तय किया कि बैठक में भी इसे मंजूरी मिल गई है। खास बात यह है कि जो शोधार्थी फॉर्म भर चुके हैं, उन्हें भी प्रवेश परीक्षा देना होगी। इस नियम के लागू होने से अब किसी भी शोधार्थी के लिए पीएचडी की राह आसान नहीं रह जाएगी।

अंडर टेकिंग ले चुकी है यूनिवर्सिटी
इस मामले में देवी अहिल्या यूनिवर्सिटी के लिए राहत की बात यह है कि वह इस सत्र में फॉर्म जमा करने वाले सारे शोधार्थियों से अंडर टेकिंग ले चुकी है। यानी यूनिवर्सिटी उनसे यह लिखवा चुकी है कि अगर नया नियम लागू होगा तो वे उसी के मुताबिक पीएचडी करने के लिए बाध्य रहेंगे। कुलपति डॉ.पी.के. मिश्रा का कहना है कि नियम इसी सत्र से लागू होगा। प्रवेश परीक्षा का मुद्दा स्टेंडिंग कमेटी में अहम था।

अब यह करना होगा
- पीएचडी के लिए पात्रता तभी मिलेगी, जब प्रवेश परीक्षा में पास होंगे 
- गाइड शोधार्थी तय नहीं करेगा। यह जिम्मा यूनिवर्सिटी का रहेगा 
- जिस विषय में शोध कर रहे हैं, दो बार उसकी परीक्षा भी देना होगी।

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