जिस कोर्स के लिए भारत सरकार के अक्षय ऊर्जा मंत्रालय ने लखनऊ विश्र्वविद्यालय को लाखों रुपये की सहायता राशि दी, वह स्थगित हो गया। रविवार को हुई काउंसिलिंग में एमएससी रिन्यूवल एनर्जी में चालीस फीसदी से कम अभ्यर्थी प्रवेश लेने पहुंचे, लिहाजा इसे स्थगित करने का फैसला लिया गया। कोर्स की समन्वयक डॉ.ऊषा वाजपेयी फीस वृद्धि को अभ्यर्थियों की बेरूखी की वजह बता रही हैं। उनका कहना है प्रवेश प्रक्रिया शुरू होने से पहले ही उन्होंने फीस के चलते कोर्स स्थगित होने की आशंका जता दी थी लेकिन इस तरफ ध्यान नहीं दिया गया। स्थगित होने वाला दूसरा कोर्स एमएससी बायोस्टेस्टिक्स है। फीस वृद्धि के चलते कोर्सो के बंद होने का सिलसिला जारी है। एमससी रिन्यूवल एनर्जी और बायो स्टेटिस्टिक्स को भी न्यूनतम चालीस फीसदी अभ्यर्थी नहीं मिले। रिन्यूवल एनर्जी की संयोजक डॉ.उषा वाजपेयी ने बताया कि पिछले सत्र में पच्चीस सीटों के लिए 58 आवेदन आए थे जिनमें से 20 अभ्यर्थियों ने दाखिला लिया था। इससे उत्साहित होकर अक्षय ऊर्जा मंत्रालय ने लविवि को अपनी भविष्य की योजना के लिए चुना। इस कोर्स के विकास और संवर्धन के लिए बीते 31 मार्च को मंत्रालय की तरफ से पचास लाख की ग्रांट दी गई लेकिन इस वर्ष तस्वीर बदल गई। इस सत्र में फीस तीस हजार प्रति सेमेस्टर कर दिया गया। इसका बुरा असर कोर्स के लिए आने वाले आवेदनों पर पड़ा। ऐसे में कोर्स स्थगित होने से विभाग और मंत्रालय की योजनाओं को गहरा धक्का लगा है। अगर फीस कम रखी जाती तो नए प्रोजेक्ट भी मिलते और कोर्स भी चलता रहता। अब इस ग्रांट के इस्तेमाल को लेकर संशय बना हुआ है। उधर रविवार को हुई काउंसिलिंग में मानवशास्त्र की 10, एमए सांख्यिकी की 3, एमएससी की 1 और एमए गणित की 5 सीटें खाली रह गई(दैनिक जागरण,लखनऊ,8.8.11)।
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