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21 अगस्त 2011

राजस्थानःतकनीकी शिक्षा में बह रही 'उल्टी गंगा'

प्रदेश में तकनीकी शिक्षा की उल्टी गंगा बह रही है। पॉलीटेक्निक व औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान (आईटीआई) में प्रवेश की राह जहां कठिन हो रही है, वहीं इंजीनियरिंग कॉलेज काउंसलिंग के समय काउंटर लगाकर विद्यार्थियों का इंतजार करते दिखाई देते हैं।
पॉलीटेक्निक में तो फिर भी केन्द्रीयकृत प्रवेश होने से मौका मिल जाता है, लेकिन आईटीआई में खुलकर मनमानी चल रही है। सरकारी आईटीआई में सीटें सीमित हैं, ऎसे में निजी आईटीआई संस्थान चांदी कूट रहे हैं। न्यूनतम प्राप्तांकों की बाध्यता नहीं होने से कमजोर विद्यार्थी इनके लिए मजबूत नींव साबित हो रहे हैं। हालात ये हैं कि निजी आईटीआई में अच्छे कोर्स में प्रवेश लेने के लिए इंजीनियरिंग कोर्सेज जितनी राशि मांगी जा रही है। केन्द्रीयकृत प्रवेश व्यवस्था नहीं होने से निजी आईटीआई में सभी सीटें मैनेजमेंट की तरह भरी जा रही हैं।
इन पर अंकुश नहीं
प्रदेश में सरकारी आईटीआई में प्रवेश संबंधी नियमों की पालना के बार-बार निर्देश दिए जाते हैं, लेकिन निजी आईटीआई में ये नियम ताक पर रख दिए जाते हैं। विद्यार्थी सीधे संबंघित संस्थान में जाता है और 'डोनेशन' देकर प्रवेश ले लेता है। विद्यार्थियों के आवेदनों के आधार पर कोई वरीयता सूची जारी नहीं होती। यहां शुल्क भी मनमर्जी से निर्धारित होता है और सीटों का आवंटन भी।

क्यों बढ़ा रूझान
आईटीआई (दो वर्ष) पाठ्यक्रम पूरा करने के बाद विद्यार्थी थर्मल पावर प्लांट, गैस पावर प्लांट, रेलवे, जल व विद्युत विभाग में विभिन्न तकनीकी पदों पर आवेदन करने के योग्य बन जाते हैं। पॉलीटेक्निक (तीन वर्ष), इंजीनियरिंग (न्यूनतम चार वर्ष) तथा सामान्य स्नातक के बाद व्यावसायिक कोर्स करने में करीब पांच से छह साल का समय लगता है। जबकि आईटीआई करने के बाद इतने समय में विद्यार्थी नौकरी करने लगता है।
एक सीट, सात दावेदार
कोटा के सरकारी आईटीआई में उपलब्ध सीटों के मुकाबले सात गुना तक आवेदन आते हैं। इस वर्ष भी यहीं स्थिति रही। यहां सामान्य श्रेणी की कटऑफ 64 प्रतिशत रहा है। ऎसे में शेष आवेदकों के पास निजी आईटीआई में प्रवेश लेने के सिवा कोई रास्ता भी नहीं रहता। उनकी इसी मजबूरी का फायदा निजी आईटीआई संस्थान उठाते हैं।

यह सही है कि निजी आईटीआई में प्रवेश संबंधी नियमों की पूरी तरह पालना नहीं हो पाती। हमारी ओर से पालना करवाने के पूरे प्रयास किए जाते हैं। अनियमितता मिलने पर संबंधित संस्थान के खिलाफ कार्रवाई की जाती है।' अशोक शर्मा, उपनिदेशक, प्रशिक्षण तकनीकी शिक्षा

(प्रमोद मेवाड़ा,राजस्थान पत्रिका,कोटा,20.8.11)

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