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01 अगस्त 2011

यूपीःनिजी स्कूलों को घाटे की भरपाई पर सहमति

शिक्षा के अधिकार के तहत गरीब और साधनहीन वर्ग के बच्चों को निजी स्कूलों में नि:शुल्क शिक्षा देने के एवज में स्कूलों को सरकार की ओर से की जाने वाली फीस प्रतिपूर्ति का फार्मूला तय हो गया है। यदि किसी भी स्तर पर यह पाया गया कि स्कूल ने तथ्यों को छिपाकर या झूठे दावे के आधार पर प्रतिपूर्ति की धनराशि हासिल की है तो उस स्कूल की मान्यता वापस लेने के साथ ही उसके खिलाफ भारतीय दंड संहिता की सुसंगत धाराओं के तहत कार्रवाई की जाएगी। ऐसे स्कूल को प्रतिपूर्ति के रूप में प्राप्त की गई धनराशि की दोगुनी रकम सरकारी कोष में जमा करनी होगी। यह धनराशि कलेक्टर द्वारा भूमि राजस्व की बकाया धनराशि के तौर पर वसूल करेंगे। नि:शुल्क एवं अनिवार्य बाल शिक्षा अधिकार अधिनियम, 2009 की धारा 12(1)(ग) के अनुसार निजी स्कूलों को कक्षा एक की न्यूनतम 25 प्रतिशत सीटों पर समाज के दुर्बल व वंचित वर्ग के बच्चों को प्रवेश देना होगा और उन्हें कक्षा आठ तक नि:शुल्क व अनिवार्य शिक्षा देनी होगी। अधिनियम की धारा 12(2) में कहा गया है कि निजी स्कूलों को ऐसे बच्चों की पढ़ाई पर आने वाले खर्च की प्रतिपूर्ति राज्य सरकार करेगी। निजी स्कूलों को यह प्रतिपूर्ति राज्य द्वारा प्रति बच्चे पर वहन किए जाने वाले खर्च या बच्चों से ली जाने वाली वास्तविक धनराशि में से जो भी कम हो, के बराबर की जाएगी। राज्य सरकार ने उत्तर प्रदेश नि:शुल्क और अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार नियमावली 2011 में फीस प्रतिपूर्ति का फार्मूला तय कर दिया है। नियमावली के अनुसार राज्य सरकार या स्थानीय प्राधिकारी द्वारा स्थापित, स्वामित्वप्राप्त या नियंत्रित सभी स्कूलों में प्रारंभिक शिक्षा पर राज्य व केंद्र सरकार तथा स्थानीय प्राधिकारी द्वारा उपलब्ध कराई गई निधियों से हुए कुल आवर्ती व्यय ऐसे स्कूलों में 30 सितंबर को नामांकित छात्रों की कुल संख्या से विभाजित किये जाने पर राज्य सरकार द्वारा किया गया प्रति बालक व्यय माना जाएगा। प्रति बालक व्यय की गणना के लिए अशासकीय सहायताप्राप्त स्कूलों और उनमें पढ़ने वाले बच्चों पर राज्य सरकार या स्थानीय प्राधिकारी द्वारा किये गए खर्च को शामिल नहीं किया जाएगा। फीस प्रतिपूर्ति के एवज में मिलने वाली धनराशि के लिए निजी स्कूलों को अलग बैंक खाता रखना होगा। फीस प्रतिपूर्ति की अपेक्षा करने वाले हर स्कूल को पहचान संख्या सहित बच्चों की सूची तथा बेसिक शिक्षा निदेशक द्वारा संस्तुत प्रपत्र पर जरूरी विवरण के साथ साक्ष्य सहित स्कूल द्वारा किए गए व्यय का ब्योरा हर साल 31 अक्टूबर तक देना होगा। जिला शिक्षा अधिकारी सत्यापन के बाद प्रतिपूर्ति की धनराशि स्कूलों के खाते में अंतरित करेगा और इस सूचना को वेबसाइट के माध्यम से सार्वजनिक करेगा(दैनिक जागरण,लखनऊ,1.8.11)।

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