प्रदेश में इंजीनियरिंग कॉलेजों की आधारभूत संरचना, लेट सेशन, प्लेसमेंट की कमी और बेहतर फैकल्टी की कमी की वजह से झारखंड के छात्र यहां के इंजीनियरिंग कॉलेजों में एडमिशन लेना नहीं चाहते।
प्रदेश के निजी इंजीनियरिंग कॉलेजों की 70 फीसदी सीटें सत्र 2011-12 में खाली रह गई हैं।
छात्र प्रदेश के इंजीनियरिंग कॉलेज में एडमिशन लेने की बजाए दूसरे राज्य में एडमिशन लेना पसंद कर रहे हैं। यहीं वजह है कि 21 दिनों तक चली पहली काउंसलिंग के बाद भी मात्र 11 सौ छात्रों ने ही एडमिशन के लिए काउंसलिंग के बाद आवेदन दिए।
राज्य के 13 इंजीनियरिंग कॉलेजों में कुल सीटों की संख्या 4230 है। इसमें 2816 सीटें खाली रह गई हैं। झारखंड संयुक्त प्रवेश प्रतियोगिता परीक्षा पर्षद के अधिकारियों का कहना है कि अभी और भी छात्र अपना नाम एडमिशन से वापस लेंगे। इससे और सीटें खाली होंगी।
इंजीनियरिंग के लिए दूसरी काउंसलिंग 20 अगस्त से शुरू होगी। इसके लिए पर्षद की ओर से सूचना जारी की जाएगी। बहुत से स्टूडेंट्स ऐसे भी हैं, जो एडमिशन के लिए कंफर्मेशन देने के बाद भी अपना नाम वापस करेंगे। इससे खाली सीटों की संख्या और बढ़ेगी। इसको लेकर नई नीति बनाने की कोशिश की जा रही है।
ओम प्रकाश कुमार, प्रशासी पदाधिकारी, जेसीईसीईबी(राजीव गोस्वामी,दैनिक भास्कर,रांची,10.8.11)
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