मुख्य समाचारः

सम्पर्कःeduployment@gmail.com

18 अगस्त 2011

महाराष्ट्रःआश्रित को नौकरी देने का सरकार को हाईकोर्ट का निर्देश

बंबई हाई कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण आदेश में महाराष्ट्र सरकार के उस फैसले को निरस्त कर दिया, जिसमें उसने एक मृत कर्मचारी की पुत्री को अनुकंपा के आधार पर नौकरी देने से इंकार कर दिया था। उस कर्मचारी की काम के दौरान मृत्यु हो गई थी। राज्य ने दलील दी कि सरकारी प्रस्ताव (जीआर) सिर्फ मृत सरकारी कर्मचारी की अविवाहित पुत्री, पत्नी और पुत्र को नौकरी पाने की अनुमति देता है। हालांकि, मृत कर्मचारी के परिवार ने दलील दी कि नौकरी के लिए आवेदन देते वक्त कर्मचारी की पुत्री अविवाहित थी। उसकी बाद में शादी हुई।

इसलिए इस मामले में यह सवाल पैदा हुआ कि क्या इस तरह के उम्मीदवार की योग्यता पर आवेदन देने के दिन से विचार किया जाना चाहिए या नियुक्ति की तारीख से विचार किया जाना चाहिए। अपर्णा जांबरे द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई करते न्यायमूर्ति ए एम खानविल्कर और मृदुला भाटकर ने कहा कि उम्मीदवार की योग्यता नौकरी के लिए आवेदन करने के समय से शुरू होती है। इसलिए इस मामले में मृत कर्मचारी की अविवाहित पुत्री जिसने जुलाई 2004 में नौकरी के लिए आवेदन किया था, इसके लिए योग्य थी क्योंकि आवेदन के वक्त उसने शादी नहीं की थी।न्यायाधीशों ने राज्य को निर्देश दिया कि वह अनुकंपा के आधार पर उपयुक्त रिक्ति के संबंध में नियुक्ति के लिए उसके दावे पर पुनर्विचार करे। न्यायाधीशों ने पाया कि संबद्ध प्रतीक्षा सूची में उससे वरिष्ठ सभी उम्मीदवारों की पहले ही नियुक्ति की जा चुकी है इसलिए अगर वह अन्य मामलों में योग्य पाई जाती है तो राज्य को उपयुक्त रिक्ति के लिए अपर्णा की नियुक्ति के लिए कदम उठाना चाहिए।
सांगली में सिंचाई विभाग में सहायक इंजीनियर मोहन कुलकर्णी की आठ सितंबर 2003 को नौकरी के दौरान मृत्यु हो गई थी(दैनिक ट्रिब्यून,मुंबई,18.8.11)।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

टिप्पणी के बगैर भी इस ब्लॉग पर सृजन जारी रहेगा। फिर भी,सुझाव और आलोचनाएं आमंत्रित हैं।