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15 अगस्त 2011

राजस्थानःपांच लाख बच्चे अब भी शिक्षा से दूर

राज्य में ड्रॉप आउट और अनामांकित 5 लाख 30 हजार 307 बच्चों को शिक्षा की मुख्य धारा से नहीं जोड़ा जा सका है। सर्व शिक्षा अभियान की हाल ही जारी नामांकन अभियान की रिपोर्ट से इसका खुलासा हुआ है। डेढ़ माह तक चले नामांकन अभियान के दौरान इन बच्चों को जोड़ा जाना था।

राज्य में सर्व शिक्षा अभियान के तहत गत वर्ष चाइल्ड ट्रेकिंग अभियान चलाया गया था। इस दौरान छह से 14 वर्ष के छह लाख 96 हजार 573 अनामांकित और पांच लाख 14 हजार 344 ड्रॉप आउट कुल 12 लाख 10 हजार 917 बालक- बालिकाओं को चिन्हित किया गया था। इनमें चार लाख 94 हजार 395 बालक तथा सात लाख 16 हजार 522 बालिका शामिल हैं।

इस शिक्षा सत्र में इन बालकों को शिक्षा की मुख्य धारा से जोड़ने के लिए विशेष नामांकन अभियान चलाया गया।यह अभियान पहले एक से 31 जुलाई तक था। बाद में इसकी अवधि बढ़ाकर 15 अगस्त तक कर दी गई लेकिन स्वतंत्रता दिवस की तैयारी के कारण इस माह अभियान सुस्त पड़ गया तथा अभियान खत्म होने से पहले ही एसएसए ने इसकी रिपोर्ट जारी कर दी। अभियान के दौरान सभी जिलों के लक्ष्य निर्धारित किए गए। स्कूल के प्रत्येक अध्यापक को दो- दो बालकों को जोड़ने के निर्देश शिक्षा मंत्री मास्टर भंवरलाल ने दिए थे लेकिन विभाग अभियान के तहत लक्ष्य पूरा करने में सफल नहीं हो सका। अभियान के दौरान सीटीएस सर्वे में चिन्हित बालकों में से आधे बालक ही स्कूल पहुंच सके।


कहां हुई गड़बड़ी

सीटीएस सर्वे में चिन्हित शिक्षा से वंचित बालकों की सूचियां सभी स्कूलों को वार्ड और क्षेत्र के हिसाब से दी गई थी लेकिन अधिकांश स्कूलों के अध्यापकों को अपने क्षेत्र में वह बच्चे मिले ही नहीं। दरअसल इन स्कूलों को ऐसे बालकों की सूचियां दी गई, जिनका घर स्कूल से दस किलोमीटर दूर था। बीकानेर में ही शहरी क्षेत्र की स्कूलों को गांव के बालकों की सूचियां थमा दी गई। चिन्हित बालक या तो क्षेत्र से पलायन कर गए या ओवर ऐज हो गए। कुछ बालक बीमारी या हादसे का शिकार होकर काल के ग्रास बन गए। ऐसे ही हालात कमोबेश सभी जिलों में रहे हैं। 

अब संशोधित सीटीएस सर्वे

शिक्षा से वंचित पांच लाख से अधिक बालकों को शिक्षा से जोड़ने के लिए सर्व शिक्षा अभियान के तहत राज्य में संशोधित सीटीएस सर्वे करवाया जा रहा है। पता चला है कि गत वर्ष सीटीएस सर्वे वर्ष 2008 की मतदाता सूची के आधार पर किया गया था, जिसकी वजह से ड्रॉप आउट बालकों और परिवारों की संख्या में अंतर आ गया। एसएसए का स्क्रीनिंग सिस्टम भी गड़बड़ा गया। गलतियां सुधारने के लिए एसएसए ने अब संशोधित सर्वे के नाम से चार प्रपत्र जारी किए हैं। पहला प्रपत्र मूल सर्वे का है, जो वर्तमान में हुआ है। दूसरे प्रपत्र में शिक्षा की मुख्य धारा से जुड़े बालकों के लिए है। तीसरे प्रपत्र में नए बालक चिन्हित होंगे और चौथा प्रपत्र डिलिटेशन का होगा, जिसमें ऐसे बालकों की संख्या दर्ज होगी, जो पहले सर्वे के दौरान पलायन कर गए, ओवर ऐज हो गए या जिनकी मृत्यु हो चुकी है। 

रिपोर्ट मांगी है

नामांकन अभियान सालभर चलाएंगे। मैंने अभियान की रिपोर्ट मांगी है। उसके आधार पर जिम्मेवारी तय की जाएगी।
-मास्टर भंवरलाल, शिक्षा मंत्री 

आधे बच्चे ओवरएज

सर्वे में चिन्हित बालकों में से आधे ही नामांकित हुए हैं। आधे बालक या तो पलायन कर गए या ओवर एज हो चुके हैं। संस्था प्रधानों से उनकी सूचियां मांगी गई हैं। -अख्तर अली
जिला शिक्षा अधिकारी (प्रारंभिक)(नवीन शर्मा,बीकानेर-जोधपुर,स्वतंत्रता दिवस,2011)

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