प्रदेश उच्च न्यायालय ने प्रदेश सरकार को आदेश दिए हैं कि किसी भी विभाग में अस्थायी अथवा एडहॉक नियुक्तियां न करे। मुख्य न्यायाधीश कुरियन जोसेफ व न्यायाधीश राजीव शर्मा की खंडपीठ ने कहा कि ये अस्थायी नियुक्तियां चाहे जिस किसी नाम से की जा रही हो, बंद होनी चाहिए।
न्यायालय का मानना है कि ऐसी नियुक्तियां अक्सर पिछले दरवाजे से चहेतों को लाभ देने के लिए की जाती है और बाद में इन्हीं नियुक्तियों को स्थाई कर दिया जाता है। सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का हवाला देते हुए कोर्ट ने कहा कि नियुक्तियां स्थाई तौर पर ही होनी चाहिए। उच्च न्यायालय ने कहा कि यदि कोई नियुक्तियां सरकार द्वारा की जाती है तो आगामी समय में सभी नियुक्तियां भर्ती एवं पदोन्नति नियमों के अंतर्गत होनी चाहिए।
उपरोक्त आदेश उच्च न्यायालय ने पंकज कुमार की याचिका में दिए। इसमें याचिकाकर्ता का आरोप है कि प्रदेश सरकार में एडहॉकिज्म की परंपरा बनती जा रही है और नियुक्तियां बिना आधार के सरकारी आदेशों व विभिन्न किस्म की अधिसूचनाओं से कर दी जाती है। कभी-कभी तो पदों की जानकारियां भी जनता तक नहीं पहुंचाई जाती।
याचिकाकर्ता ने अदालत से गुहार लगाई है कि सरकार को आदेश दिए जाएं कि वह अस्थाई नियुक्तियां करना बंद करे व समय-समय पर जारी ऐसी नीतियां, स्कीम, सर्कुलर, निर्देश, आदेश व ग्रांट इन ऐड रूल्स समाप्त किए जाएं। याचिकाकर्ता ने ऐसी सभी नियुक्तियों को स्थाई करने से रोकने की भी गुहार अदालत से लगाई है ताकि प्रदेश के योग्य उम्मीदवार बिना भेदभाव व पक्षपात के नियुक्तियों में भाग ले सके(दैनिक भास्कर,शिमला,26.8.11)।
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