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19 अगस्त 2011

रेलवे भर्ती बोर्ड,इलाहाबाद: जांच के नाम बहाने

रेलवे भर्ती बोर्ड, इलाहाबाद की ओर से सहायक लोको पायलट की भर्ती के लिए आवेदन करने वाले युवक अस्पतालों के चक्कर काटने को मजबूर हैं। फॉर्म पर सरकारी आई स्पेशलिस्ट से जांच करवाकर मुहर सहित साइन करवाने की मजबूरी इनकी परेशानी का कारण बन चुकी है। मथुरादास माथुर (एमडीएम) अस्पताल में तो डॉक्टर सील होने से ही इनकार कर रहे हैं।

जागरूक पाठक से सूचना मिली कि रेलवे भर्ती बोर्ड, इलाहाबाद ने लोको पायलट सहित विभिन्न तकनीकी पदों पर भर्ती के लिए आवेदन मांगे गए हैं। कुल 16595 पदों पर भर्ती की जानी है और 12 नवंबर आखिरी तारीख है। आवेदन पर नेत्र रोग विशेषज्ञ से विजिबिलिटी जांच के बाद सील और साइन जरूरी हैं। इसके लिए आवेदक इधर-उधर भटकते फिर रहे हैं। टीम गुरुवार को एमडीएम अस्पताल पहुंची। यहां भगत की कोठी निवासी रवींद्र भाटी, रामप्रसाद चौधरी, त्रिलोकराम चंदेल, हनुमान, महेंद्र, धीरज सक्सेना आदि भर्ती फॉर्म पर नेत्र रोग विशेषज्ञ की सील लगवाने के लिए भटक रहे थे। इन्होंने टीम को बताया कि सरकारी अस्पताल के आई स्पेशलिस्ट एक से दूसरे अस्पताल भेज रहे हैं। बुधवार को भी हम एमडीएम अस्पताल आए थे। यहां डॉक्टर कहने लगे कि पावटा सेटेलाइट अस्पताल में आई स्पेशलिस्ट बैठते हैं।

वहीं आंखों की जांच के बाद हस्ताक्षर व सील लगाई जाएगी। गुरुवार को जब अभ्यर्थी पावटा सेटेलाइट अस्पताल पहुंचे तो वहां डॉ. अजीत जाखड़ ने एमडीएम अस्पताल जाने की सलाह दी। दुबारा एमडीएम अस्पताल के नेत्र विभाग में आए। यहां डॉ. गजेश भार्गव और डॉ. सरिता गौड़ ने फिर इनकार कर दिया। अभ्यर्थियों ने डॉक्टरों से पूछा भी कि आखिर आंखों की जांच की पुष्टि कौन करेगा? तब डॉक्टरों ने आंखों की जांच की और फॉर्म पर साइन कर लिए लेकिन इसके बाद मामला मुहर पर अटक गया। इन्हें कहा गया कि इंक्वायरी काउंटर से अस्पताल आचार्य व सह आचार्य की सील लगवा लें।


आई स्पेशलिस्ट की सील ही नहीं

आवेदकों के साथ टीम एमडीएम अस्पताल के आई डिपार्टमेंट में पहुंची। टीम ने डॉ. गजेश भार्गव और डॉ. सरिता गौड़ को परिचय देकर फॉर्म पर सील नहीं लगाने के बारे में पूछा। डॉक्टरों का कहना था कि हम तो यहां आने वाले सभी युवकों की आंखों की जांच करके हस्ताक्षर कर रहे हैं। हमारे पास अपनी सील नहीं है। अस्पताल प्रशासन ने ही आई स्पेशलिस्ट को सील नहीं दे रखी है। डॉ. भार्गव का कहना था कि सहायक लोको पायलट के आवेदन पर सील लगवाने के लिए काफी लोग आ रहे हैं। इसलिए हमने अस्पताल प्रशासन को सील बनवाने के लिए पत्र भी लिखा है। सील आते ही सभी आवेदनों पर हम सील लगाने लगेंगे। टीम ने अस्पताल अधीक्षक को दिए पत्र की कॉपी मांगी तो कहने लगे कि वह तो अभी नहीं है। 

कहने लगे सील गुम हो गई

आई स्पेशलिस्ट से बातचीत के दौरान टीम की नजर पास ही पड़े एक रजिस्टर पर पड़ी। रजिस्टर के कवर पर नेत्र रोग विशेषज्ञ, मथुरादास माथुर अस्पताल, जोधपुर की मुहरें लगी हुई थीं। टीम ने ये सीलें दिखाते हुए विशेषज्ञों से पूछा तो वे सकपका गए। डॉ. भार्गव सफाई देने लगे कि ये पुरानी वाली सील हैं, जो अब गुम हो गई हैं।

सील मेरे घर की है

टीम की मौजूदगी में युवकों ने डॉ. भार्गव को बताया कि इंक्वायरी पर बैठे कर्मचारी ने तो कहा कि सील लगवानी है तो डॉक्टर के घर जाओ। वहां डेढ़ सौ रुपए दोगे तो सील लग जाएगी। डॉ. भार्गव ने ऐसी किसी बात से इनकार करते हुए बताया कि वैसे वह सील तो मेरे घर की ही है। इसके बाद टीम इंक्वायरी की तरफ गई लेकिन वह कर्मचारी नहीं मिला। टीम अस्पताल अधीक्षक डॉ. अरविंद माथुर के चैंबर में गई। पता चला कि वे जयपुर गए हुए हैं। इसके बाद टीम पावटा सेटेलाइट अस्पताल गई। वहां नेत्र विशेषज्ञ डॉ. अजीत जाखड़ भी नहीं मिले(विकास आर्य,दैनिक भास्कर,जोधपुर,19.8.11)।

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