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16 अगस्त 2011

यूपीःनौ विवि ने फीस का ब्योरा सौंपा

प्रदेश भर के विश्वविद्यालय अब विद्यार्थियों से मनमानी फीस नहीं वसूल सकेंगे। डिग्री कॉलेजों से लेकर यूनिवर्सिटी कैंपस तक समान फीस ढांचा लागू करने की कवायद हो रही है। शासन ने फीस निर्धारण का जिम्मा सीएसजेएम विश्वविद्यालय के कु लपति प्रो. एच के सहगल को सौंपा है। उम्मीद की जा रही है कि बीए और बीएससी जैसे पाठ्यक्रमों में दशकों से ली जा रही फीस में इजाफा होगा जबकि इंजीनियरिंग और मैनेजमेंट फीस के अंतर को समाप्त किया जाएगा। प्रदेश भर के 12 विश्वविद्यालय में वसूली जा रही अलग-अलग फीस को समान क रने की क वायद हो रही है। समान फीस का फार्मूला सरकारी, अनुदानित और निजी डिग्री कॉलेजों में एक साथ लागू होगा। ऐसे में ज्यादातर विषयों की फीस बढ़ सक ती है। वसंसीएसजेएम विश्वविद्यालय को फिलहाल नौ विवि ने फीस का ब्योरा सौंपा है। लखनऊ विवि, संपूर्णानंद विवि काशी, महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ वाराणसी, चौधरी चरण सिंह विवि मेरठ ज्योतिबा फुले विवि बरेली, दीनदयाल उपाध्याय विविगोरखपुर, राम मनोहर राष्ट्रीय विधि विवि, लखनऊ और राजर्षि टंडन मुक्त विवि इलाहाबाद शामिल हैं। विवि के फीस ढांचे के अध्ययन के बाद परंपरागत कोर्सों की फीस बढ़नी लगभग तय है। बीए में ज्यादातर कॉलेजों में 2000 से 2800 रुपए तक ही फीस ली जा रही है। बीएससी में भी 2200 से 2800 रु पए फीस है। लखनऊ यूनिवर्सिटी एमबीए के लिए 75 हजार रुपए तक फीस वसूल रहा है। वहीं कानपुर विवि की फीस लगभग आधी है। फीस के अंतर को भी समाप्त क रने की क वायद है। विभिन्न विवि में चल रहे अन्य प्रोफेशनल कोर्सों की फीस का भी तुलनात्मक अध्ययन हो रहा है। सीएसजेएम विवि ने फिलहाल आगरा, झांसी, जौनपुर और फै जाबाद विवि से फीस का ब्योरा मांगा है। इसके आधार पर समान फीस का निर्धारण होगा(हिंदुस्तान,लखनऊ,स्वतंत्रता दिवस,2011)।

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