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04 अगस्त 2011

महाराष्ट्रःशिक्षण शुल्क विधेयक पारित

स्कूलों की मनमानी पर लगाम लगाने वाला शिक्षण शुल्क विधेयक बुधवार को महाराष्ट्र विधानसभा में पास हो गया।

इस विधेयक के महत्व को देखते हुए सभी दलों के विधायकों ने एकमत से मंजूरी दी। शिक्षण शुल्क विधेयक के पास होने के बाद अब स्कूलों को फीस में वृद्धि करने से पहले अभिभावक संगठन से मंजूरी लेना अनिवार्य हो गया है।

इसके अलावा यदि कोई स्कूल गैरकानूनी ढंग से विद्यार्थियों से रकम जमा करने का दोषी पाया गया, तो उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई किए जाने का प्रावधान भी इस विधेयक में है।

शिक्षण शुल्क विधेयक की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि स्कूलों को अब फी वृद्धि करने से पहले कम से कम छह महीने पहले उसके प्रस्ताव को तैयार करना जरूरी हो गया है।

.. तो जेल आने की आयेगी नौबत

राज्य में स्कूलों की मनमानी से जनता को निजात दिलाने के लिए महाराष्ट्र सरकार ने शिक्षण शुल्क विधेयक अमल में लाया है। इस विधेयक में किये गये प्रावधान के तहत गलत ढंग से पैसा इकट्ठा करने के दोषी पाये गये स्कूल के संचालकों से दो गुनी रकम दंड के रूप में वसूलने का प्रावधान है।


यदि जरूरत पड़ी तो उन्हें जेल में भी डाला जा सकता है। ध्यान रहे कि एक बार जो स्कूल अपनी फी में वृद्धि करेगा। उसे आने वाले दो वर्षो तक फी वृद्धि नहीं करने दिया जायेगा। 

फी वृद्धि के प्रस्तावों पर जिलास्तर पर निगरानी रखने के लिए जिला न्यायाधीश की अध्यक्षता में एक समिति होगी। जबकि राज्यस्तर पर हाईकोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीश निगरानी समिति के अध्यक्ष होंगे(दैनिक भास्कर,मुंबई,4.8.11)।

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