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08 अगस्त 2011

यूपीःचुनाव नज़दीक देख कर्मचारियों को लुभाने की तैयारी

सूबे का मौसम चुनावी होने लगा है। उसी मौसम का असर है कि सरकार अपने कर्मचारियों के प्रति खास मेहरबान होती जा रही है। सरकार ने उनकी तमाम मांगों को पूरा किया है, जो मांगें लंबित हैं तो उन पर भी सरकार विनम्र ही नजर आ रही है। सूबे के 15 लाख से अधिक कर्मचारियों को सरकार संजय गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान (पीजीआइ) में नि:शुल्क उपचार की सुविधा देने जा रही है। इसके लिए जल्द ही पांच करोड़ रु. के रिवाल्विंग फंड का गठन कर अनुपूरक बजट से व्यवस्था की जा जाएगी। महज संयोग नहीं ये घोषणाएं : यह संयोग ही नहीं है कि जुलाई में कर्मचारियों को इन्क्रीमेंट मिला तो अगस्त में उनके वेतन में छह प्रतिशत डीए भी जुड़ रहा है। चीनी निगम और पर्यटन निगम के कर्मचारियों को छठा वेतनमान देने के प्रस्तावों को भी मंजूरी दे दी गयी है। तीन दिन पहले ही सरकार ने राज्यकर्मियों की चिकित्सा प्रतिपूर्ति में आने वाली बाधाओं को भी समाप्त कर दिया है। इतना ही नहीं अनुकंपा निधि की धनराशि तक बढ़ा दी गई है। कई विभागों की वेतन विसंगतियां भी दूर की गईं। सचिवालय कर्मियों जैसी सुविधा : पीजीआइ में उपचार की सुविधा अभी तक सचिवालय कर्मियों को ही मिला करती थी। योजना यह है कि राज्यकर्मी भी इससे लाभान्वित किए जाएं। चिकित्सा विभाग ने इसकी पूरी तैयारी कर ली है। कर्मचारियों को पीजीआइ में उपचार के लिए भुगतान नहीं करना होगा। उन्हें शल्य क्रिया, डायलिसिस, वेंटीलेटर, कक्ष का किराया, सभी तरह की जांच और औषधियां हासिल होंगी। इलाज के लिए किसी तरह का रेफरेंस देने की जरूरत उन्हें नहीं होगी। जल्द बनेगी नियमावली : सूत्रों के अनुसार रिवाल्विंग फंड के लिए जल्द ही नियमावली बनकर तैयार हो जाएगी। इस नियमावली पर वित्त, न्याय और चिकित्सा विभाग का परामर्श लेते हुए मंत्रिपरिषद का अनुमोदन लिया जाएगा। राज्यकर्मियों को उपचार की सुविधा देने के लिए पीजीआइ और चिकित्सा विभाग के मध्य एक करार होगा। कर्मचारियों को पीजीआइ में रजिस्ट्रेशन कराकर इलाज के लिए अपने विभाग से एक प्राधिकार पत्र प्राप्त करना होगा। व्यवस्था उसी तरह की होगी जैसी कि सचिवालयकर्मियों के लिए है। अन्य मांगों पर टिकी निगाहें : कर्मचारी संघों के पदाधिकारी भी जानते हैं कि इस तरह का चुनावी अवसर जल्द नहीं आता, इसलिए वे अपनी अन्य मांगों को पूरा करने के लिए भी सरकार पर दबाव बनाए हुए हैं। इनमें मुख्य रूप से केंद्रीय कर्मियों की भांति भवन किराया, परिवहन भत्ता, शिशु शिक्षा भत्ता की है(हरिशंकर मिश्र,दैनिक जागरण,लखनऊ,8.8.11)।

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