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02 अगस्त 2011

जबलपुरःगलती विवि की, दंड मेडिकल छात्रों को

रादुविवि ने सिर्फ अपनी खाल बचाने के चक्कर में एक अजीबो-गरीब निर्णय लेते हुए 2010 के पुनर्मूल्यांकन में पास हुये एमबीबीएस प्रथम के छात्र-छात्राओं का परीक्षा परिणाम निरस्त कर दिया है। इनमें से कई को पूरक और कई फेल हो गए हैं। विवि की इस कार्रवाई से प्रभावित छात्रों का पूरा साल ही जाया हो रहा है, क्योंकि पूरक परीक्षाएं हो चुकी हैं और उनको दूसरा मौका अब फिलहाल तो नहीं ही मिलने वाला।

विवि के इस निर्णय से जहां मेडिकल कॉलेज में हड़कम्प मच गया है। जिन छात्र-छात्राओं को पास से फेल किया गया है, वे अब एक साल के बाद वापस उसी कक्षा में आ गये हैं। अर्थात् एमबीबीएस सेकेण्ड इयर की परीक्षा की तैयारी कर रहे छात्र अब दुबारा फस्र्ट इयर की पढ़ाई करेंगे। फेल हुये छात्रों के पास अब पुरानी कक्षा में पढ़ने के अलावा कोई विकल्प नहीं है।

जूडॉ ने कहा है कि विवि का निर्णय किसी भी तरीके से गले नहीं उतर रहा है। यदि परीक्षा परिणाम बदलना ही था, तो उसका भी दुबारा पुनर्मूल्यांकन कराया जा सकता था, लेकिन एकदम फरमान जारी करते हुये किसी का परीक्षा परिणाम बदल देना पूरी परीक्षा प्रक्रिया पर अंगुली उठाने जैसा है।


यह भी प्रश्न उठता है, जब पुनर्मूल्यांकन गलत था तो मुख्य मूल्यांकन की जिम्मेदारी कौन लेगा, उसमें भी खोट हो सकती है। विवि का निर्णय एकदम हैरत में डालने वाला है। जो छात्र-छात्राएं फेल घोषित किये गये हैं, उनकी स्थिति एकदम पशोपेश और अधर में है। इधर विवि प्रशासन का कहना है कि परिणाम हाई-पावर कमेटी की अनुशंसा पर और पूरी जांच कर निरस्त किया गया है, इसमें कोई गलती जैसी स्थिति नहीं है। 

प्रारंभ से हो रहा अन्याय
मेडिकल छात्रों का कहना है कि उनके साथ प्रारंभ से ही अन्याय हो रहा है। पहले जब परीक्षा हुई तो एक प्रश्न पत्र बदल गया था। इसके बाद मूल्यांकन हुआ तो मेडिकल की बजाय नर्सिग कॉलेज में हो गया। फिर इसके बाद जो एक दर्जन छात्र पुनर्मूल्यांकन में पास हुए तो उनका परिणाम निरस्त हो गया। इस तरह अन्याय प्रारंभ से ही हो रहा है। 

इन छात्रों का कहना है कि यदि पुनर्मुल्यांकन गलत हुआ है तो मुख्य मूल्यांकन भी तो गलत हुआ होगा। उसके बारे में निर्णय क्यों नहीं लिया गया। वैसे भी यदि कुछ व्यक्ति विशेष द्वारा कराए गए पुनमरूल्यांकन यदि गलत थे तो पुनर्मुल्यांकन भी दोबारा कराया जाना था। विवि भी इस बारे में संतोषजनक जवाब नहीं दे पा रहा है। 

कुलसचिव का कहना है कि निर्णय हाईपावर कमेटी का है। प्रश्न यह है कि क्या हाई पावर कमेटी में ऐसे लोग थे जो मेडिकल की कॉपियों को जांच सकते। 

हमने हाई-पावर कमेटी से पूरी जांच के बाद परिणाम को निरस्त किया है। इसमें कहीं कोई गलत निर्णय की गुंजाइश नहीं है। जो हुआ उसमें पारदर्शिता बरती गई है। 
प्रो. यूएन शुक्ला, कुलसचिव 

परिणाम अचानक न बदलकर पुनर्मूल्यांकन कराया जाना चाहिए। हमने इस संबंध में विवि प्रशासन से चर्चा की है और उन्होंने इस विषय पर विचार का आश्वासन हमें दिया है। जो हुआ वह काफी हैरान करने वाला है। 
डॉ. अशोक ठाकुर, प्रदेश जूडॉ अध्यक्ष(दैनिक भास्कर,जबलपुर,2.8.11)

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