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09 अगस्त 2011

अल्पसंख्यक स्कूल अपनी मर्जी से कर सकता है नियुक्तिःदिल्ली हाईकोर्ट

सरकारी सहायता प्राप्त अल्पसंख्यक स्कूलों को शिक्षक नियुक्त करने के लिए निदेशालय से अनुमति लेने की जरूरत नहीं है। यह व्यवस्था देते हुए उच्च न्यायालय ने उस शिक्षिका की अपील स्वीकार कर ली है, जिसे अल्पसंख्यक स्कूल ने निदेशालय द्वारा नियुक्ति की अनुमति न देने के चलते नौकरी से हटा दिया था। अदालत ने निदेशालय पर पांच हजार रुपये हर्जाना भी लगाया जो याचिकाकर्ता को दिया जाएगा। उच्च न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति एस. मुरलीधर ने शिक्षा निदेशालय को निर्देश दिया है कि बारह सप्ताह के अंदर याचिकाकर्ता को दो साल तीन माह का वेतन दे। अदालत ने कहा कि नियमों के हिसाब से सरकारी सहायता प्राप्त अल्पसंख्यक स्कूलों को अपने यहां शिक्षक नियुक्त करने के लिए निदेशालय की अनुमति लेने की जरूरत नहीं है। इसलिए इस शिक्षिका को नियुक्त करने की अनुमति न देने का आदेश अवैध था। निदेशालय का यह भी कहना था कि इस महिला के पास दसवीं व बारहवीं कक्षा में गणित व विज्ञान विषय नहीं थे। इसलिए यह सहायक शिक्षक नियुक्त होने योग्य नहीं थी। अदालत ने कहा कि निदेशालय की यह दलील भी गलत है। अगर किसी उम्मीदवार के पास निर्धारित योग्यता से ज्यादा योग्यता हो तो उसे इस नियम से छूट मिल सकती है। याचिकाकर्ता ने बी. एड के साथ-साथ एम. एड कर रखा था। याचिकाकर्ता महिला को दिसंबर 1996 में एक अल्पसंख्यक स्कूल में सहायक शिक्षक नियुक्त किया गया था। बाद में 18 अगस्त 1997 को शिक्षा निदेशालय ने इसकी नियुक्ति की अनुमति नहीं दी तो स्कूल ने उसे 12 मार्च 1999 को नौकरी से हटा दिया(दैनिक जागरण,दिल्ली,9.8.11)।

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