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02 अगस्त 2011

देवी अहिल्या यूनिवर्सिटीःपरीक्षा देने के बाद भी एब्सेंट

देरी से चल रहे सेमेस्टर सिस्टम से पहले से परेशान बैचलर ऑफ बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन (बीबीए) के स्टूडेंट्स एक नई मुसीबत में फंस गए हैं। पांचवें सेमेस्टर के इन स्टूडेंट्स ने देवी अहिल्या यूनिवर्सिटी की परीक्षा दी लेकिन रिजल्ट में इन्हें कई विषयों में एब्सेंट बताकर फेल घोषित कर दिया गया। अब शिकायत किए जाने के बाद यूनिवर्सिटी ने खुद ही इन विषयों में से कुछ में उन्हें नंबर दे दिए।


सवाल यह है कि यदि ये छात्र एब्सेंट थे तो उन्हें नंबर कैसे मिल गए और यदि नहीं तो उन्हें एब्सेंट घोषित किया जाना यूनिवर्सिटी की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े करता है। यूनिवर्सिटी के चक्कर काट रहे इन छात्रों का करियर ही दांव पर लग गया है। कुछ का सेमेस्टर ही बैक हो जाएगा तो कुछ आने वाली परीक्षा में नहीं बैठ पाएंगे। एमबीए में एडमिशन का उनका सपना भी पूरा होता नहीं दिख रहा है। 


मार्च-अप्रैल में हुई थी परीक्षा
बैचलर ऑफ बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन (बीबीए) के पांचवें सेमेस्टर में देवी अहिल्या यूनिवर्सिटी द्वारा 26 मार्च से लेकर 13 अप्रैल 2011 तक विभिन्न विषयों की परीक्षाएं आयोजित की गई थीं। शहर के कई कॉलेजों में बनाए गए परीक्षा सेंटर्स पर विभिन्न कॉलेज के स्टूडेंट्स ने इसमें भाग लिया था। करीब साढ़े तीन हजार छात्र इन परीक्षाओं में शामिल हुए थे।

उपस्थित छात्र भी एब्सेंट
यूनिवर्सिटी में परीक्षा की कॉपियों की जांच में अनियमितताएं कोई नई बात नहीं है लेकिन यह मामला तो उससे भी एक कदम बढ़कर है। इस बार कॉपियां जांचने में गड़बड़ी के अतिरिक्त यूनिवर्सिटी ने एक नया कारनामा किया। रिजल्ट में कई ऐसे स्टूडेंट्स भी हैं, जो हर विषय की परीक्षा में शामिल हुए थे लेकिन इसके बावजूद 3 जुलाई को आए रिजल्ट में उन्हें कई विषयों में एब्सेंट बता दिया गया है। यह एक-दो नहीं बल्कि चार-चार विषयों तक में हुआ है। परीक्षा देकर भी एब्सेंट बताए गए इन छात्रों को फेल घोषित कर दिया गया है। यूनिवर्सिटी की लेटलतीफी और लापरवाही के चलते इन छात्रों का भविष्य अधर में है। 

कॉलेज ने बताया उपस्थित, फिर भी अपडेट नहीं हुआ रिजल्ट 
परीक्षा खत्म होने के करीब तीन महीने बाद 3 जुलाई 2011 को यूनिवर्सिटी ने परिणाम घोषित किया। इस परिणाम के बाद काफी हंगामा मचा क्योंकि अधिकांश स्टूडेंट क्यूटी टेक्निक और एडवांस अकाउंट में फेल घोषित हो गए। इस परिणाम को गलत बताते हुए स्टूडेंट्स ने फिर से कॉपियां जांचने की मांग की। इसके बाद यूनिवर्सिटी ने तीन कॉलेजों आईपीएस अकादमी, रणजीत सिंह कॉलेज और वैष्णव कॉलेज की कॉपियां फिर से जंचवाई। दोबारा जांच के बाद रिजल्ट में परिवर्तन आया।

94 छात्रों का है मामला
परीक्षा देने के बावजूद एब्सेंट बताए जाने वाले स्टूडेंट्स की संख्या एक-दो नहीं बल्कि 94 है। यूनिवर्सिटी में रिजल्ट आने के बाद करीब 94 स्टूडेंट्स ने परीक्षा देने के बावजूद एब्सेंट बताए जाने की शिकायत की है। स्टूडेंट्स का कहना है कि उन्होंने पूरी परीक्षा दी है।

रिवाइज्ड रिजल्ट में आ गए नंबर
एब्सेंट बताने के बाद यूनिवर्सिटी ने एक और कारनामा किया। यूनिवर्सिटी ने कॉपियों में गड़बड़ी जांचने के बाद 26 जुलाई 2011 को रिवाइज्ड रिजल्ट निकाला। इस रिजल्ट में एब्सेंट बताए गए कुछ स्टूडेंट्स को नंबर दे दिए गए लेकिन अभी भी कुछ सब्जेक्ट्स में उन्हें एब्सेंट ही बताया गया। एक महीना से ज्यादा बीत जाने के बाद भी अभी भी यही स्थिति है। इन स्टूडेंट्स का कहना है कि अगर हम एब्सेंट थे तो ये नंबर कहां से आ गए?

एक महीने से काट रहे हैं चक्कर
ये छात्र रिजल्ट आने के बाद एक महीने से यूनिवर्सिटी के चक्कर काट रहे हैं। सबसे पहले उन्होंने अपने कॉलेज में रिजल्ट देखने के बाद शिकायत की। इसके बाद उन्हें यूनिवर्सिटी भेजा गया। वहां पर शिकायत करने के बाद उन्हें वैल्यूएशन सेंटर भेजा गया लेकिन वहां से भी केवल आश्वासन ही मिला। ये छात्र परीक्षा सेंटर पर भी गए ताकि उन्हें रिकॉर्ड दिखाया जा सके लेकिन वहां से भी उन्हें यूनिवर्सिटी भेज दिया गया। यूनिवर्सिटी और कॉलेज के चक्कर काटने को मजबूर ये छात्र आगे की पढ़ाई भी नहीं कर पा रहे हैं।

कैसे देंगे अगली परीक्षा
अब इन स्टूडेंट्स के सामने नया संकट खड़ा हो गया है। यूनिवर्सिटी में नियम है कि किसी भी छात्र को तीन विषय से ज्यादा में एटीकेटी (विषय में फेल होने पर अगले सेमेस्टर में प्रवेश की पात्रता) की पात्रता नहीं है। अगर ऐसा होता है तो उसका पूरा सेमेस्टर की बैक (वापस करना) माना जाता है। इनके अंतिम सेमेस्टर की परीक्षाएं अगस्त में प्रस्तावित हैं। अगर इनकी समस्या का निराकरण नहीं हुआ तो वे परीक्षा देने के लिए पात्र ही नहीं होंगे और इनका पूरा साल खराब 
हो जाएगा। 

एमबीए में एडमिशन भी खतरे में
चूंकि यूनिवर्सिटी का यह सेमेस्टर सिस्टम समय से देरी से चल रहा है, इस कारण बीबीए के छात्र एमबीए में भी एडमिशन नहीं ले पा रहे हैं। कई छात्र ऐसे भी हैं जिन्हें पहले के सेमेस्टरों के रिजल्ट के आधार पर एमबीए में एडमिशन मिला है। इसके साथ छठे सेमेस्टर में पास होने की शर्त जुड़ी है लेकिन रिजल्ट की इस गफलत में उनका एडमिशन निरस्त होने का खतरा हो सकता है। वहीं विश्वविद्यालय प्रशासन को इसकी कोई चिंता नहीं है। वह तो अपनी जिम्मेदारी से मुकरने को ही शायद अच्छी कार्यप्रणाली का सबसे बड़ा पैमाना मानती है। 

पहले तीन विषय में एब्सेंट बाद में 47 नंबर
मोहम्मद शकील अरिहंत कॉलेज ऑफ प्रोफेशनल स्टडीज का स्टूडेंट है। उसने भी बीबीए के सभी विषयों की परीक्षा दी थी। 3 जुलाई को आए रिजल्ट में उसे भी पांच में से तीन विषयों बिजनेस एन्वायर्नमेंट, बिजनेस टैक्सेशन और एडवांस अकाउंटेंसी में एब्सेंट बता दिया गया। उसने यूनिवर्सिटी में सभी विषयों की परीक्षा देने की शिकायत की। इसके बाद 26 जुलाई को आए रिजल्ट में बिजनेस टैक्सेशन में 47 नंबर आ गए। वह भी बाकी विषयों में अपने आप को उपस्थित बताने और नंबर पाने के लिए यूनिवर्सिटी के चक्कर काट रहा है।

प्रैक्टिकल की परीक्षा देने के बाद भी बता दिया एब्सेंट
अजय मल्हार भी इल्वा कॉलेज का स्टूडेंट है। उसे मुख्य विषयों में तो उतीर्ण बताया गया लेकिन लांग टर्म कैपिटल मैनेजमेंट के प्रैक्टिकल में एब्सेंट बता दिया गया है। जबकि कॉलेज ने यूनिवर्सिटी को लिखकर दिया है कि यह स्टूडेंट प्रैक्टिकल परीक्षा में उपस्थित था और उसके नंबर भी यूनिवर्सिटी को भेजे गए थे। इसके साथ ही दो अन्य स्टूडेंट कुमारी नीरज और सिंगाजी पटेल को इस विषय में नंबर भेजने के बाद भी एब्सेंट बता दिया गया है।

पांच में से चार विषय में बताया एब्सेंट, कर दिया फेल
मुकेंद्र यादव इम्पीरियल अकादमी ऑफ प्रोफेशनल स्टडीज का छात्र है। उसने बीबीए के सभी विषयों की परीक्षा क्लॉथ मार्केट प्रोफेशनल कॉलेज के सेंटर से दी थी। उसका रोल नंबर 70403 था। 3 जुलाई को आए रिजल्ट में उसे कुल पांच में से चार विषयों क्यूटी टेक्निक, बिजनेस एन्वायर्नमेंट, बिजनेस टैक्सेशन और एडवांस अकाउंटेंसी में एब्सेंट बता फेल कर दिया गया। उसने इस संबंध में कॉलेज और यूनिवर्सिटी में शिकायत की लेकिन कुछ नहीं हुआ। 

26 जुलाई को रिवाइज्ड रिजल्ट के बाद उसे एब्सेंट बताए गए चार में एक विषय बिजनेस टैक्सेशन में 14 नंबर दे दिए गए। जबकि उसने सभी विषयों की परीक्षा दी थी। अब वह यूनिवर्सिटी के चक्कर काट रहा है कि बाकी विषयों में उसके नंबर आ जाएं(रफी मोहम्मद शेख, दैनिक भास्कर,इन्दौर,2.8.11)।

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