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11 अगस्त 2011

बदलने पड़ेंगे री-वैल्यूएशन के नियम

सूचना के अधिकार (आरटीआई) के तहत छात्रों को परीक्षाओं की उत्तर पुस्तिकाएं देने के सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद उच्च शिक्षा विभाग को री-वैल्यूएशन संबंधी अपने नियमों को बदलना पड़ सकता है। फिलहाल छात्रों को रिजल्ट घोषित होने के 15 दिनों के अंदर री-वैल्यूएशन के लिए आवेदन देना होता है, जबकि आरटीआई के तहत एक महीने के भीतर जानकारी देने का प्रावधान है। हालांकि स्कूल शिक्षा विभाग में रिजल्ट घोषित होने के तीस दिन बाद तक रीटोटलिंग के लिए आवेदन किए जा सकते हैं।


दो साल पहले उच्च शिक्षा विभाग ने सेमेस्टर सिस्टम लागू करने के साथ ही छात्रों को उनकी उत्तर पुस्तिका दिखाने की व्यवस्था है। इस साल करीब 150 विद्यार्थियों ने इस सुविधा का लाभ लेते हुए अपनी उत्तर पुस्तिकाएं देखीं। दूसरी तरफ माध्यमिक शिक्षा मंडल हाईस्कूल और हायर सेकंडरी परीक्षा की उत्तर पुस्तिका की फोटो कॉपी डाक से छात्रों के घर पहुंचाता है। इसके लिए छात्रों को आवेदन करना पड़ता है। मंडल के आधिकारिक सूत्रों के अनुसार इस साल मंडल ने 15 हजार से ज्यादा विद्यार्थियों को उत्तर पुस्तिकाएं उपलब्ध कराई हैं। सुप्रीम कोर्ट के फैसले का सभी ने स्वागत किया है, हालांकि इसके अमल में दिक्कतें भी कम नहीं हैं।
ये होंगे फायदे

मूल्यांकन में पारदर्शिता बढ़ेगी
बरकतउल्ला यूनिवर्सिटी (बीयू) की कुलपति प्रोफेसर निशा दुबे मानती हैं कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले से निश्चित तौर पर वैल्यूएशन में पारदर्शिता बढ़ेगी, हालांकि स्टाफ पर काम का बोझ और बढ़ जाएगा। इसके लिए बीयू को अलग सेल का गठन करना पड़ेगा, क्योंकि सालभर में हजारों छात्र विभिन्न परीक्षाओं में शामिल होते हैं। इस फैसले के बाद अब हर छात्र चाहेगा कि वो भी अपनी कॉपी देखे।

अभिभावकों को नहीं कर पाएंगे गुमराह 
वरिष्ठ शिक्षाविद रमेश दवे ने इस प्रक्रिया को छात्रों के हित में बताया है। इससे विद्यार्थी अपने अभिभावकों से ये नहीं सकेंगे कि उन्होंने सही जवाब लिखे थे, फिर भी कम नंबर मिले।

अड़चनें भी हैं
री-वैल्यूएशन में दिक्कत
प्रो. निशा दुबे के अनुसार नई प्रक्रिया में जो सबसे बड़ी व्यावहारिक कठिनाई आएगी, वो ये है कि रिजल्ट घोषित होने के 15 दिन के भीतर री-वैल्यूएशन के लिए आवेदन जमा करना होता है। जबकि आरटीआई में कॉपी 30 दिनों के भीतर देने का प्रावधान है।

मेरिट लिस्ट घोषित करने में देरी
माशिमं की सचिव डॉ. मधु खरे के अनुसार इस प्रक्रिया का फायदा विद्यार्थियों को ही है। वे उत्तर पुस्तिका में की गई गलती को सुधरवाकर अपने नंबर बढ़वा सकते हैं, हालांकि माशिमं को इसका सीधे तौर पर नुकसान होने लगा है। जब तक सारे प्रकरण नहीं निपट जाते, माशिमं अपनी स्थाई मेरिट लिस्ट घोषित नहीं कर पाता(दैनिक भास्कर,भोपाल,11.8.11)।

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