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15 अगस्त 2011

रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालयःपहले कॉपी देखिये, फिर तय कीजिये पुनर्मूल्यांकन करवाना है या नहीं

मुख्य परीक्षा की कॉपियों के मूल्यांकन में लगातार हो रही गड़बड़ियों को देखते हुए पं. रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय अब पुनर्मूल्यांकन का पूरा सिस्टम ही बदलने की तैयारी कर रहा है। इसमें नतीजों से असंतुष्ट छात्र को पुनर्मूल्यांकन आवेदन के पहले उत्तर पुस्तिका की फोटोकॉपी दी जाएगी। अपनी कॉपी को छात्र देखकर तय कर पाएंगे कि उन्हें पुनर्मूल्यांकन के लिए आवेदन करना है या नहीं।

नए सिस्टम में रविशंकर यूनिवर्सिटी में मूल्यांकन में होने वाली गड़बड़ी भी एक्सपोज हो जाएगी।मूल्यांकनकर्ताओं को अब संभलकर कॉपियां जांचनी पड़ेगी।हर साल किसी न किसी परीक्षा के मूल्यांकन को लेकर छात्रों में नाराजगी होती है।किसी खास विषय में ज्यादातर छात्रों को कम नंबर मिलने की बात आती है, तो कभी कॉपियों में एक जैसे नंबरों पर उनकी आपत्ति होती है।इसे लेकर छात्र नेताओं की ओर से अक्सर रविवि परिसर में हंगामा और विवाद भी होता रहा है।


कुछ मामलों में उनकी शिकायतें सही भी मिली हैं। तत्कालीन कुलपति डॉ. लक्ष्मण चतुर्वेदी ने मूल्यांकन में गंभीर लापरवाही करने वाले एक दर्जन शिक्षकों को काली सूची में डाला था। इन्हीं सब गड़बड़ियों और शिकायतों को देखते हुए रविवि प्रशासन का नया पुनर्मूल्यांकन नियम काफी मददगार होगा।
इसकी प्रक्रिया शुरू हो गई है। गोपनीय, अकादमी और परीक्षा विभाग के अधिकारी नियम बनाने के साथ इसमें लगने वाले संसाधन, आने वाले खर्च और कर्मचारियों की व्यवस्था का आंकलन किया जा रहा है। कार्यपरिषद की बैठक में एक बार इस मसले को रखा जा चुका है। बैठक में फैसला हुआ है कि इसके नियम में संशोधन और खर्च का आंकलन किया जाए। 

नए नियम के तहत पुनर्मूल्यांकन और फोटो कॉपी के शुल्क भी अलग से तय होंगे। इसमें लगने वाला सारा खर्च छात्र को वहन करना होगा। इससे पहले परीक्षा परिणाम से असंतुष्ट छात्रों की अधिक संख्या को देखते हुए पूर्व कुलपति डॉ. लक्ष्मण चतुर्वेदी ने कार्यपरिषद की आपात बैठक बुलाई थी। इसमें उन्होंने माध्यमिक शिक्षा मंडल में उत्तर पुस्तिका की फोटोकॉपी दिए जाने वाले नियम को ज्यों का त्यों स्वीकार कर लिया था। इसके तहत अब छात्रों को पुनर्मूल्यांकन के बाद मांगे जाने पर उत्तर पुस्तिका की फोटोकॉपी दी जाती है। 

काली सूची में डाले गए शिक्षक

डॉ. लक्ष्मण चतुर्वेदी के कार्यकाल में पुनर्मूल्यांकन के आवेदनों को देखते हुए उत्तर पुस्तिकाओं की रेंडम जांच की गई थी। इसमें अधिकांश शिक्षकों ने कॉपी जांची ही नहीं थी और उसके प्रथम पेज में मनमाने तरीके से अंक डाल दिए थे। इस पर एक दर्जन शिक्षकों को काली सूची में डालते हुए पांच साल तक परीक्षा कार्य से वंचित करने का फैसला किया गया था।

इन बिंदुओं पर हो रहा विचार 

- छात्र को सारी उत्तर पुस्तिकाएं दी जाएं या सिर्फ दो? 

- इसमें रविवि को कितना खर्च आएगा? 

- कितने कर्मचारी लगेंगे? 

- कितनी प्रिंटिंग मशीन लगेंगी? 

- पारदर्शिता के साथ परीक्षा की गोपनीयता कैसे बनी रहेगी? 

- छात्रों का साल बर्बाद नहीं होगा। 

- गलती फौरन पकड़ में आएगी। 

- पुनर्मूल्यांकन प्रणाली में आएगी पारदर्शिता। 

- गड़बड़ियों के कारण होने वाले विरोधों और विवादों से मिलेगी मुक्ति।

"बार-बार बढ़ रही शिकायतों को देखते हुए पुनर्मूल्यांकन नियम में संशोधन का विचार किया जा रहा है। नियम बनाने के लिए विभागों को कहा गया है। बहुत जल्दी ही इसे लागू किया जाएगा।"

डॉ. शिव कुमार पांडेय, कुलपति, रविवि(संजय पाठक,दैनिक भास्कर,रायपुर,स्वतंत्रता दिवस,2011)

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