प्रदेश के बीएड कॉलेजों में सत्र 2008-09 में प्रवेश लेने वाले छात्रों को दो साल से परीक्षा का इंतजार है। ये परीक्षा इस वर्ष भी आयोजित न होने की बात सामने आ रही है।
इसका प्रमुख कारण हाईकोर्ट में एक दर्जन से अधिक मामले लंबित होना बताया जा रहा है। कोर्ट में मामले चलने के कारण प्रदेश के 30 हजार और अंचल के आठ हजार छात्र परेशान हैं।
जानकारी के मुताबिक उच्च शिक्षा विभाग ने बीएड सत्र 2008-09 को जीरो घोषित कर दिया था। इसके बावजूद कुछ कॉलेज संचालकों ने उक्त सत्र में छात्रों को प्रवेश दे दिया।
प्रवेश प्रक्रिया पूरी होने के बाद पिछले वर्ष संचालकों ने शिक्षा विभाग से बीएड छात्रों के भविष्य का हवाला देते हुए परीक्षा कराने की मांग की थी।
विभाग ने यह कहकर परीक्षा कराने से इनकार कर दिया कि उक्त सत्र को जीरो घोषित कर दिया गया था, इसलिए उक्त सत्र में जिन छात्रों के प्रवेश हुए हैं कि उनकी परीक्षा आयोजित नहीं की जा सकती।
विभाग की ओर से इस तरह इनकार के बाद कुछ संचालकों ने हाईकोर्ट में मामला दायर कर परीक्षा कराने की मांग की है। इस पर अब तक फैसला नहीं आ सका है।
उधर, विभाग का कहना है कि छात्रों के साथ उनकी पूरी सहानुभूति है, लेकिन कोर्ट का फैसला होने के बाद ही परीक्षा कराने पर विचार किया जा सकता है।
ज्ञात हो कि कॉलेज संचालकों की ओर से दायर की गई अलग-अलग याचिकाओं पर शासन को नोटिस जारी कर कोर्ट ने पूछा था कि क्यों न वर्ष2008-09 में प्रवेश लेने वाले बीएड छात्रों की परीक्षाएं आयोजित करा ली जाएं।
शासन ने अलग-अलग कॉलेज संचालकों की ओर से दाखिल याचिकाओं के आधार पर दिए गए कोर्ट के नोटिसों में से कुछ के जवाब तो दे दिए हैं, जबकि कुछ के जवाब देना बाकी हैं।
सही रिकॉर्ड मिलना बहुत मुश्किल
यदि कोर्ट की ओर से शासन को परीक्षाएं आयोजित कराने के निर्देश दे दिए जाते हैं, तो भी परीक्षा कराना आसान नहीं। विभाग के पास आंकड़े नहीं हैं कि किन कॉलेजों में कितने छात्रों ने प्रवेश ले लिया है।
कोर्ट के निर्णय के बाद बीएड कॉलेज बैक डेट में भी छात्रों को प्रवेश देकर परीक्षा में शामिल करवा सकते हैं।
कोर्ट में चल रहे मामले
बीएड सत्र 2008-09 से संबंधित एक दर्जन से अधिक मामले कोर्ट में चल रहे हैं। जब तक इन पर निर्णय नहीं हो जाता, तब तक परीक्षा आयोजित नहीं की जा सकती।
वीएस निरंजन, आयुक्त, उच्च शिक्षा(दैनिक भास्कर,ग्वालियर,21.8.11)
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