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11 अगस्त 2011

लखनऊ विश्वविद्यालयःआदेश एक, व्याख्या अनेक

- श्री जयनारायण पीजी कॉलेज में अभी तक स्नातक की बढ़ी हुई बीस प्रतिशत सीटों के लिए प्रवेश प्रक्रिया शुरू नहीं हो सकी है। प्राचार्य डॉ.एसडी शर्मा बिना सर्कुलर प्रवेश को नियम विरुद्ध मानते हैं। 
- कालीचरण पीजी कॉलेज ने बढ़ी हुई सीटों पर प्रवेश दिया। प्राचार्य डॉ.वीएन मिश्र प्रवेश समिति के फैसले को लविवि का निर्णय मानते हैं। 
- एपी सेन पीजी कॉलेज ने बीच का रास्ता अपनाया। बढ़ी हुई सीटों पर प्रवेश लिया लेकिन अस्थाई तौर पर। यह बात अभ्यर्थियों को भी बता दी गई है। 
यह तीन उदाहरण स्नातक कक्षाओं में सीट वृद्धि को लेकर कॉलेजों की दुविधा और मनमानी दोनों को बयान कर रहे हैं। लविवि प्रवेश समिति ने स्नातक कक्षाओं में बीस प्रतिशत सीट बढ़ाने का निर्णय किया। एक महीने पहले हुए फैसले का सर्कुलर अभी तक कॉलेजों को नहीं मिला है लिहाजा हर कॉलेज ने आदेश के अपने मायने निकाले। लविवि कुलसचिव जीपी त्रिपाठी जल्द ही सर्कुलर जारी होने की बात कहते हैं लेकिन उन्हें इसमें कोई गड़बड़ी नहीं दिखती लेकिन लुआक्टा के अध्यक्ष डॉ.मनोज पांडेय इसे छात्रों के साथ धोखा करार देते हैं। स्नातक कक्षाओं में सीट वृद्धि का सकुर्लर जारी करने में लविवि प्रशासन की सुस्ती और कॉलेजों की मनमानी के बीच सैकड़ों विद्यार्थियों के हित प्रभावित हो रहे हैं। समय से आदेश की प्रति मिलने पर जिन मेधावियों को नियमित सीट पर दाखिला मिल सकता था उन्होंने भी दुविधा के चलते स्ववित्तपोषित सीटों पर प्रवेश ले लिया। इधर जिन महाविद्यालयों ने बढ़ी हुई सीटों पर प्रवेश नहीं लिया है उन्हें अभ्यर्थियों के आक्रोश का भी सामना करना पड़ रहा है। दूरदराज के जिलों से प्रवेश की इच्छा में लखनऊ आने वाले अभ्यर्थी इन कॉलेजों पर गुपचुप प्रवेश का आरोप लगाते हुए आए दिन हंगामा करते हैं। कई कॉलेजों ने स्ववित्तपोषित सीटों पर ही प्रवेश किया है। लुआक्टा अध्यक्ष डॉ.मनोज पांडेय इस देरी के लिए लविवि की लापरवाह कार्यप्रणाली को जिम्मेदार ठहराते हैं। उनका कहना है कि छात्रहित को देखते हुए सर्कुलर जारी किया जा सकता था(दैनिक जागरण,लखनऊ,11.8.11)।

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