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27 अगस्त 2011

मध्यप्रदेशःभस्मासुर साबित हो रहे हैं निजी विश्वविद्यालय

शिवराज सरकार की मंजूरी से आकार ले रहे निजी विश्वविद्यालय अब सरकार के लिए ही भस्मासुर बन रहे हैं। शुरुआती दौर में ही एक निजी विवि ने पीएमटी में चयनित छात्रों को प्रवेश देने से इनकार कर दिया। उसका कहना है कि जब निजी विवि बन गया है तो उनके कॉलेजों में प्रवेश देने का दायित्व भी उनका ही है। ये सब तब हुआ, जब इस विवि के प्रवेश संबंधी नियम भी नहीं बने।

इस घटना से प्रदेश में आ रही निजी विश्वविद्यालयों की बाढ़ पर सवालिया निशान लग गया है। अगर ऐसा ही रुख अन्य निजी विवि ने अपनाया तो सरकारी कॉलेज ही शासकीय विवि के अधीन रह जाएंगे और निजी कॉलेज निजी विवि के। इससेप्रवेश, परीक्षाएं और रिजल्ट घोषित करने तक में सरकार का कोई हस्तक्षेप नहीं रहेगा।


यह भी तब हो रहा है जब खुद सरकार प्रदेश के मेडिकल, डेंटल, नर्सिग, फॉर्मेसी, फिजियोथैरेपी, आयुर्वेदिक और होम्योपैथिक कोर्स को एक ही विश्वविद्यालय के अंतर्गत लाने जा रही है, जिसका विधेयक भी पास हो चुका है। पीपुल्स की घटना ने सरकार को सोचने पर मजबूर कर दिया है कि समय रहते निजी विश्वविद्यालयों पर अंकुश नहीं लगाया तो हालात छत्तीसगढ़ जैसे हो जाएंगे। जहां सरकार ने 2-4 कमरों में ही निजी विवि खोलने की अनुमति दे दी और बाद में सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर उन्हें बंद करना पड़ा था। 

7 निजी विश्वविद्यालय बन चुके हैं प्रदेश में
शासन द्वारा निजी यूनिवर्सिटी प्रावधान-2007 लागू करने के बाद निजी विश्वविद्यालय बनाने की अनुमति के लिए 42 प्रस्ताव आए। इनमें मुख्यत: वे सभी शिक्षण संस्थानों ने आवेदन किया है, जिनके प्रदेश में कई कॉलेज संचालित हो रहे हैं। इन प्रस्तावों में से शासन ने 7 प्रस्तावों को स्वीकार कर उनका वर्ष २क्१क् में गठन भी कर दिया।

इनके नाम इस प्रकार हैं
1. जयप्रकाश सेवा संस्थान यूनिवर्सिटी, गुना
2. आईटीएम यूनिवर्सिटी, ग्वालियर 
3. एमईटी यूनिवर्सिटी, ग्वालियर
4. ओरिएंटल यूनिवर्सिटी, इंदौर
5. पीपुल्स यूनिवर्सिटी, भोपाल
6. आईसेक्ट यूनिवर्सिटी भोपाल
7. रामकिशन मिशन यूनिवर्सिटी, भोपाल

उठ रहे यह भी सवाल
- यूनिवर्सिटी के पास कोई भी कोर्स शुरू करने के अधिकार रहते हैं। प्रदेश में कोई स्टेट एजुकेशन पॉलिसी नहीं है, जिसमें यूनिवर्सिटी को कोई भी नया कोर्स शुरू करने से पहले शासन की अनुमति की जरूरत पड़े। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या निजी विश्वविद्यालय भी अपने व्यावसायिक हित साधने के लिए नए कोर्सेस शुरू करेंगे। इन कोर्स की महत्ता क्या होगी? 

- शासन पूरे प्रदेश में एक जैसा सिलेबस और गुणवत्ता बनाए रखने के लिए नई मेडिकल यूनिवर्सिटी खोल रहा है, वहीं दूसरी ओर निजी यूनिवर्सिटी को भी मान्यता देते जा रहा है। ऐसे में नियमों को मजबूत नहीं किया गया तो प्रदेश में एक जैसा कोर्स और गुणवत्ता कैसे संभव है? 

- प्राइवेट यूनिवर्सिटी बनने के बाद पीपुल्स मेडिकल कॉलेज शासन द्वारा आयोजित काउंसिलिंग में छात्रों को एडमिशन देने से मना कर रहा है। वह भी तब जब उसकी यूनिवर्सिटी के प्रवेश नियम ही नहीं बने हैं। (अब तक पुराने नियम ही मानने का प्रावधान है)। ऐसा करने से शासन के अधिकार पर ही प्रश्न चिन्ह उठ गया? 

- क्या निजी विश्वविद्यालय फीस के निर्धारण में भी मनमानी करेंगे?

- कोर्स निर्धारण करने में क्या नियम रहेगा?

- फैकल्टीज का निर्धारण कैसे करेंगे?(राजीव शर्मा-आनंद,दैनिक भास्कर,भोपाल,27.8.11)

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