मुख्य समाचारः

सम्पर्कःeduployment@gmail.com

25 अगस्त 2011

इंदौरःरुचि कम हो रही है मैनेजमेंट कोर्सेस में!

देश के सबसे प्रतिष्ठित मैनेजमेंट संस्थान आईआईएम में प्रवेश के लिए होने वाले कॉमन एडमिशन टेस्ट (कैट) में वर्ष 2009 में 2.5 लाख स्टूडेंट्स बैठे थे। 2010 में यह संख्या दो लाख रह गई। शहर में भी यही स्थिति है। 2009 के पहले छह हजार से ज्यादा स्टूडेंट्स टेस्ट देते थे लेकिन 2010 में करीब पांच हजार ही इसमें शामिल हुए। इस बार भी प्रक्रिया शुरू होने के छह दिन बाद तक शहर से मात्र एक हजार स्टूडेंट्स ने पंजीयन कराया है।

एमबीए नहीं तो क्या?
बढ़ती फीस और प्लेसमेंट के कम चांस होते देख स्टूडेंट्स इंजीनियरिंग, सिविल सर्विसेस, बैकिंग और डिजाइनिंग के दूसरे ऑप्शन चुन रहे हैं। आईआईएम इंदौर में भी 2008 के बाद नंबर ऑफ सिलेक्शन और पैकेज कम हुआ है। यूनिवर्सिटी सहित शहर के प्राइवेट एमबीए कॉलेजों में दो साल से 50 फीसदी से ज्यादा प्लेसमेंट हुआ ही नहीं। 8-9 लाख वार्षिक तक जाने वाले पैकेज 3.80 लाख के आसपास सीमित हो गए। आईआईएम के पूर्व प्रोफेसर डॉ. पी.के. चांदे कहते हैं दूसरी परीक्षाएं आसान हुई हैं। आईआईएम में सीटें बढ़ने के बाद भी कैट पहले की तरह टफ बनी हुई है। 80 फीसदी स्टूडेंट्स दो बार से ज्यादा कैट देने के बाद ही आईआईएम पहुंच पाते हैं। आकाश सेठिया का कहना है इस बार प्लेसमेंट सीजन का भी फर्क रजिस्ट्रेशन पर पड़ रहा है। जो स्टूडेंट्स दूसरे कोर्सेस में पढ़ रहे हैं उनका ध्यान कैट से ज्यादा दो महीने बाद आने वाले प्लेसमेंट सीजन की तैयारी पर है(गजेन्द्र विश्वकर्मा,दैनिक भास्कर,इन्दौर,25.8.11)।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

टिप्पणी के बगैर भी इस ब्लॉग पर सृजन जारी रहेगा। फिर भी,सुझाव और आलोचनाएं आमंत्रित हैं।