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06 अगस्त 2011

देहरादूनःसिद्धार्थ लॉ कॉलेज के प्रथम सत्र की शुरूआत आठ से

सिद्धार्थ एजुकेशनल सोसाइटी इस सत्र से लॉ कॉलेज शुरू करने जा रही है। शिक्षण सत्र की शुरूआत 8 अगस्त से की जाएगी। इससे पूर्व शनिवार को मुख्यमंत्री डॉ. रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ लॉ कॉलेज का उद्घाटन करेंगे। मीडिया से बातचीत के दौरान सिद्धार्थ लॉ कॉलेज के निदेशक डॉ. रवि गुराने ने कहा की कॉलेज स्तरीय शिक्षा प्रदान करने के लिए वचनबद्ध है और इसके लिए छात्र संख्या सीमित रखी जाएगी ताकि प्रत्येक छात्र पर व्यक्तिगत तौर पर भी ध्यान दिया जा सके। मेधावी विद्यार्थियों के लिए स्कॉलरशिप की व्यवस्था भी की गई है। गुराने ने बताया की सिद्धार्थ लॉ कॉलेज उत्तराखंड तकनीकी विविद्यालय से सम्बद्ध पहला विधि महाविद्यालय है। कॉलेज बीबीए, एलएलबी कोर्स की शिक्षा देने वाला गढ़वाल क्षेत्र का प्रथम संस्थान है। विधि की बेहतर शिक्षा की जरूरत को देखते हुए पुस्तकालय एवं मूट कोर्ट रूम संस्थान द्वारा पहले ही तैयार करवा लिये हैं। सिद्धार्थ एजुकेशनल सोसाइटी के चेयरमैन दुर्गा वर्मा ने कहा की कॉलेज का पहला लक्ष्य विद्यार्थियों को बेहतर शिक्षा देना है। इसके तहत प्रबंधन ने निर्णय लिया है की यदि सत्र के दौरान किसी छात्र या छात्रा के अभिभावक/ संरक्षक की मृत्यु हो जाती है तो उस छात्र/छात्रा की पढ़ाई रोकी नहीं जाएगी। उस छात्र/छात्रा की पढ़ाई का पूरा खर्चा प्रबंधन देगा। इसके लिए बाकायदा एक समिति का गठन कर कोष भी तैयार किया गया है। इसके अलावा यदि किसी छात्र/छात्रा ने हाईस्कूल व इंटर दोनों कक्षाओं में 90 प्रतिशत अंक हासिल किए हों तो उसे सौ प्रतिशत की स्कॉलरशिप प्रदान की जाएगी। इसके अलावा किसी एक कक्षा में 90 प्रतिशत अंक हासिल करने वाले छात्र/छात्रा को 25 प्रतिशत तक की स्कॉलरशिप प्रदान की जाएगी। यह व्यवस्था प्रथम तीन रैकिंग में आने वाले छात्रों के लिए होगी। छात्र संख्या 30 अथवा अधिकतम 32 रखी जाएगी ताकि छात्रों को स्तरीय शिक्षा प्रदान की जा सके और प्रत्येक छात्र पर बेहतर ध्यान रखा जा सके। सेवानिवृत्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश व इंस्टीटय़ूशन के निदेशक आरआर अग्रवाल ने कहा की कॉलेज में हर उस छात्र को प्रवेश दिया जाएगा जिसमें शिक्षा प्राप्त करने और मेहनत करने के लिए दृढ़ इच्छाशक्ति रखता हो। कॉलेज की विशेष बात यह भी है की यहां छात्रों को केवल थ्योरी ही नहीं प्रैक्टिल भी सिखाया जाएगा ताकि वकालत के क्षेत्र में उतरने पर उनके सामने व्यवहारिक दिक्कतें न आएं(राष्ट्रीय सहारा,देहरादून,6.8.11)।

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