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04 अगस्त 2011

ओबीसी आरक्षण में नहीं कर सकते छेड़छाड़ःसुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने एक अहम टिप्पणी में कहा है कि केंद्रीय शैक्षणिक संस्थानों में ओबीसी कोटे की सीटों में छेड़छाड़ नहीं की जा सकती है। अन्य पिछड़ा वर्ग के छात्रों के लिए आरक्षित सीटें सामान्य वर्ग के छात्रों को नहीं दी जा सकती। न्यायमूर्ति आरवी रवींद्रन और एके पटनायक की खंडपीठ ने यह टिप्पणी बुधवार को आइआइटी चेन्नई के पूर्व निदेशक प्रोफेसर पीवी इंद्रेशन की याचिका पर अपना फैसला सुरक्षित रखते समय की। प्रोफेसर इंद्रेशन की याचिका में अदालत से जवाहर लाल नेहरू विवि (जेएनयू), दिल्ली विवि (डीयू) व अन्य केंद्रीय विवि में ओबीसी के प्रवेश के मानक स्पष्ट करने का अनुरोध किया गया है। पीठ ने पक्षकारों को सोमवार तक अपनी लिखित दलीलें कोर्ट में रखने को कहा है। याचिकाकर्ता ने 7 सितंबर 2010 को दिल्ली हाईकोर्ट के उस फैसले को चुनौती दी है जिसमें ओबीसी छात्रों के लिए कट ऑफ अंक, सामान्य वर्ग के विद्यार्थियों से 10 फीसदी कम पर प्रवेश दिए जाने का आदेश था। याचिकाकर्ता के वकील केके वेणुगोपाल के यह कहने पर कि अदालत अगर उनके खिलाफ फैसला लेती है तब यह भी सुनिश्चित होना चाहिए कि सामान्य वर्ग के छात्रों के लिए निर्धारित 50 फीसदी सीटों पर ओबीसी छात्रों ने अतिक्रमण नहीं किया, भले ही उन्होंने (ओबीसी छात्रों) विवि में मेरिट के आधार पर प्रवेश लिया हो। इस पर न्यायमूर्ति रवींद्रन ने कहा कि ओबीसी सीटों को सामान्य सीटों में रूपांतरण करने की अनुमति नहीं है। अब सुप्रीम कोर्ट तय करेगा कि केंद्रीय विवि में प्रवेश में ओबीसी छात्रों को कट ऑफ अंक से दस अंक कम पर प्रवेश दिया जाएगा या फिर उन्हें सामान्य वर्ग के लिए निश्चित पात्रता अंकों से दस अंक कम पर प्रवेश मिलेगा। प्रोफेसर इंद्रेशन की ओर से दलील दी गई थी कि ओबीसी छात्रों को सामान्य वर्ग में प्रवेश पाने वाले अंतिम छात्र के कट ऑफ अंक से दस अंक कम पर प्रवेश दिया जाए। इंद्रेशन के वकील की दलील थी कि शिक्षा में आरक्षण को सही ठहराने वाले संविधान पीठ के फैसले में न्यायमूर्ति दलवीर भंडारी ने कट ऑफ अंक से दस अंक कम पर प्रवेश की बात कही है। इसी तरह न्यायमूर्ति पसायत व सीके ठक्कर के फैसले में भी शिक्षा का उच्च स्तर बनाए रखने के लिए ओबीसी को सिर्फ 5 फीसदी कम अंकों पर प्रवेश देने का सुझाव दिया गया है, जबकि दूसरी ओर केंद्र सरकार की दलील थी कि ओबीसी छात्रों को कट ऑफ अंक से नहीं बल्कि सामान्य वर्ग के लिए निर्धारित पात्रता अंकों से दस अंक कम पर प्रवेश दिया जाना चाहिए(दैनिक जागरण,दिल्ली,4.8.11)।

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