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05 अगस्त 2011

यूपीःबीटेक की चमक पड़ी फीकी तो डिप्लोमा में उतर आये कालेज

बीटेक की चमक फीकी पड़ने से इंजीनियरिंग कालेजों ने डिप्लोमा शिक्षा की ओर रुख कर लिया है। इन कालेजों ने अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद से मान्यता भी हासिल कर ली है,अब सम्बद्धता के लिए प्राविधिक शिक्षा परिषद की ओर नजर गड़ाये हैं। तकनीकी डिप्लोमा शिक्षा में उतरे दो दर्जन संस्थानों की सम्बद्धता प्रक्रिया पूरी होने के बाद द्वितीय काउंसलिंग से दाखिला दिये जाएंगे। सूबे में खुलने वाले नये पॉलीटेक्निक संस्थान अभी तक इंजीनियरिंग कालेज चला रहे हैं। बख्शी का तालाब स्थित आईटीएम संस्थान का अपना इंजीनियरिंग कालेज है। नये शैक्षिक सत्र से अब एक पॉलीटेक्निक भी लेकर आया है। यह कालेज एआईसीटीई से मान्यता लेने के बाद अब प्राविधिक शिक्षा परिषद से सम्बद्धता हासिल करने में लगा है। बरेली स्थित सिद्ध विनायक ग्रुप का अपना इंजीनियरिंग कालेज होने के साथ डिप्लोमा शिक्षा में भी पांव बढ़ाया है। झांसी स्थित एसआर ग्रुप ने भी बीटेक के इंजीनियरिंग कालेज के साथ डिप्लोमा की पढ़ाई शुरू कराने की तैयारी में जुटा है। इलाहाबाद के भी एक स्थापित इंजीनियरिंग कालेज ने पॉलीटेक्निक डिप्लोमा की ओर रुख किया है। प्राविधिक शिक्षा परिषद के सचिव व सम्बद्धता समिति के सदस्य सचिव एस प्रसाद ने कहा कि कई इंजीनियरिंग कालेजों को पालीटेक्निक खोलने के लिए एआईसीटीई से मंजूरी मिल चुकी है। इनकी संख्या करीब दो दर्जन है। नये खुलने वाले इन पॉलीटेक्निक संस्थान में करीब एक दर्जन में पहले से इंजीनियरिंग कालेज चल रहे हैं। उन्होंने बताया कि एआईसीटीई की मान्यता लाने वाले संस्थानों का निरीक्षण कराया जा रहा है। 20 से 25 अगस्त के बीच होने वाली द्वितीय काउंसलिंग से पहले इन कालेजों को सम्बद्धता दे दी जाएगी। निरीक्षण मण्डल की रिपोर्ट के बाद सम्बद्धता समिति की बैठक में सभी का निस्तारण कर दिया जाएगा। उन्होंने बताया कि एआईसीटीई ने एक ट्रेड से लेकर पांच ट्रेड चलाने की मान्यता दी है। हर एक ट्रेड में 60-60 सीटें बढ़ जाएगी। कोर इंजीनियरिंग में डिप्लोमा की मांग बीटेक से ज्यादा है। डिप्लोमा में सौ फीसद प्लेसमेंट होने के कारण छात्र उस ओर आकर्षित हो रहे हैं। इसी का नतीजा है कि इंजीनियरिंग डिप्लोमा की 50 हजार सीटों में अभी 28 हजार से ज्यादा भर गयी हैं और प्रथम चरण की काउंसलिंग पांच को पूरी होने पर यह संख्या 30 हजार के पार कर सकती है। काउंसलिंग से जुड़े अधिकारियों ने बताया सिर्फ आरक्षित श्रेणी में सीटें बची हैं वह भी आतंरिक आरक्षण की वजह है। नये पॉलीटेक्निक पूरे प्रदेश में दो दर्जन आ रहे हैं, यह संख्या कुछ ज्यादा भी हो सकती है। उन्होंने बताया कि प्रथम चरण की काउंसलिंग पूरी होने के बाद ही नये पॉलीटेक्निक संस्थानों को जोड़ने के लिए शासन स्तर पर निर्णय हुआ था(कमल तिवारी,राष्ट्रीय सहारा,लखनऊ,5.8.11)।

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