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04 अगस्त 2011

मप्र में कम हो जाएगा प्रोफेसरों का वेतन

उच्च शिक्षा कमिश्नर के नए आदेश से प्रदेश के ढाई हजार प्रोफेसरों का वेतन पैंतीस हजार रुपए तक कम हो जाएगा। इतना ही नहीं इन पर रिकवरी की तलवार भी लटकने लगी है। यही वजह है कि अब इन प्रोफेसरों के बीच हड़कंप मच गया है।

हैरत की बात ये है कि कमिश्नर ने ये आदेश प्रदेश मंत्रिमंडल के निर्णय और केंद्र सरकार के निर्देशों के खिलाफ निकाला है। दरअसल शासन ने इस साल 16 जून को प्रोफेसरों के वेतनमान के संबंध में आदेश निकाला था। इस आदेश में बताया गया था कि प्रोफेसरों की सेवा में तीन वर्ष पूरे होने पर उनके स्थानन (फिक्सेशन) की कार्रवाई उच्च शिक्षा कमिश्नर करेंगे।

लेकिन जब उच्च शिक्षा कमिश्नर ने आदेश निकाला तो उसमें बताया गया कि जिन प्रोफेसरों की सेवा के तीन वर्ष पूरे हो चुके हैं, उनके स्थानन की कार्रवाई कमिश्नर करेंगे। इस आदेश का पालन होने पर प्रदेश के लगभग ढाई हजार प्रोफेसरों के वेतन से लगभग पैंतीस हजार रुपए कटने की नौबत आ गई है। प्रोफेसरों को ये वेतन 1 मई 2010 से दिया जा रहा है और आदेश के कारण प्रोफेसरों से रिकवरी भी की जाएगी।

डॉक्टरों का भी कटा था वेतन

हाल ही में राज्य सरकार के प्रस्ताव पर वित्त विभाग के इनकार के बाद प्रदेश के तीन हजार डॉक्टरों का वेतन भी कम कर दिया गया था। लेकिन मामले में मुख्यमंत्री के दखल के बाद सरकार ने न ही वेतन में कटौती की, न ही किसी तरह की रिकवरी। 

ऐसे हुआ था स्थानन
मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने 31 दिसंबर 2008 को आदेश दिए थे कि देश के उन सभी शिक्षकों का वेतनमान 12,400-18,000 रुपए के ग्रेड से 37,000-67,000 रुपए के ग्रेड में कर दिया जाए, जो 1 जनवरी 2006 को सेवा में तीन वर्ष पूरे कर चुके हैं। इसके बाद प्रदेश सरकार ने मंत्रिमंडल के निर्णय के बाद पिछले साल 1 मई 2010 को प्रदेश में भी लागू कर दिया था। 

ये होता है स्थानन
जब कोई शासकीय सेवक सेवा के दौरान सरकार के निर्धारित मापदंड को पूरा कर लेता है तो उसे अगला ग्रेड मिल जाता है। जिससे उसके वेतन में वृद्धि हो जाती है। 

यदि कमिश्नर आदेश वापस नहीं लेते हैं तो संघ उच्च शिक्षा मंत्री से मिलकर आदेश वापस लेने की मांग करेगा। कमिश्नर के नए आदेश से ढाई हजार से ज्यादा प्रोफेसर प्रभावित होंगे।
डॉ. कैलाश त्यागी, अध्यक्ष, प्रदेश प्राध्यापक संघ

शासन के निर्देश के बाद मैंने आदेश निकाले गए हैं। अपनी तरफ से मैंने कोई आदेश नहीं दिया है।
वीएस निरंजन, कमिश्नर, उच्च शिक्षा(अभिषेक दुबे,दैनिक भास्कर,भोपाल,4.8.11)

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