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09 अगस्त 2011

नौकरी और संबंध

जॉब मिलने के बाद अक्सर व्यक्ति अपनी नौकरी पर ही ज्यादा ध्यान देने लगता है। जिसकी वजह से वह तमाम जानने वालों से दूर हटने लगता है। लेकिन तमाम व्यस्तताओं के बावजूद भी अगर आप थोड़ा-सा वक्त अपने जानने वालों साथ बिताएं तो यह आपके रिलेशन को लंबे समय तक मजबूती देता है। फेसबुक, ई-मे ल या फिर एसएमएस के जरिए टच में रहना कोई काम की चीज नहीं। बल्कि लाइफ में आगे बढ़ने के लिए रिलेशन को समझें और सिर्फ टच में रहने की बात को छोड़कर रिलेशनशिप में प्रगाढ़ता बढ़ाएं।

पब्लिक रिलेशन्स- अच्छी जॉब पर बने रहना, हर महीने अच्छी सैलरी पाना यह हर सर्विस क्लास का सपना होता है। जब व्यक्ति यह सब हासिल कर लेता है, तो वह अपने आपको सिक्योर समझने लगता है फिर वह रिसेशन या नौकरी से हटाए जाने की बात मन में नहीं लाता। लेकिन यही मौका होता है, अपने आप को साबित करने का। अपने आपको न केवल वहां बनाए रखें बल्कि अपनी मार्केट वेल्यू बढ़ाने के लिए भी पब्लिक रिलेशन्स बढ़ाएं।

चेंज योर पर्सनालिटी- हो सकता है कि कभी आपको जॉब छोड़ना पड़े, तब आप इन्हीं रिलेशन के सहारे दूसरा जॉब पा सकते हैं। यही कारण है जब तक आप नौकरी में हैं, तब तक अपने नेचर में घमंड ना आने दें। हमेशा सामान्य व्यवहार बनाए रखें।

नो सेल्फिश- रिलेशन को बढ़ाने में कभी सेल्फिश ना बने। सेल्फिश लोगों को दुनिया बहुत जल्दी पहचान लेती है। आपको अपनी ओर से जितना हो सके अपने अच्छे दिनों में लोगों की मदद करें। प्रोफेशनली तौर पर हेल्प जरूर करें। आप देखिए, जब आप जॉब पाना चाहते हैं या फिर जॉब बदलना चाहते है, तब यही संबंध आप से दोस्त की तरह पेश आएंगे और जरूर सहायता करेंगे।


कॉन्टेक्ट- कॉन्टेक्ट में रहने का मतलब आप अपने जानने वाले के साथ बाते करें। उससे इंडस्ट्री में क्या हो रहा है, इस बारे में जरूर खबर रखें, और इस बारे में बातें करे। अपनी बातों के अलावा संपकरे में रहने वाले व्यक्ति के बारे में भी सारी इंफॉम्रेशन लें और उसकी बातें भी सुनें। केवल नेटवर्किंग साइट से अपडेट रहने से कुछ नहीं होता। संबंधों को बढ़ाने के लिए आप रोजाना मिलने वाले लोगों के साथ भी संबंध बनाकर एक नया रिलेशन डेवलप कर सकते हैं।

रिफ्रेश योर रिलेशनशिप- सिर्फ टच में रहने से रिलेशन मजबूत नहीं बनते, इसमें आत्मीयता नहीं रहती। प्रोफेशनल और पर्सनल रिश्तों में काफी फर्क होता है। जब इंसान दोनों रिश्तों को एक ही तराजू में तौलते हैं तो दिक्कत आती है। अकसर प्रोफेशनल रिलेशन की तरह ही हम अपने रिलेटिव्स के साथ भी व्यवहार करने लगते हैं, तब इनमें निहित गर्माहट कहीं खो जाती है। किसी भी रिलेशनशिप में आप जब तक अपने प्रोफेशनल लेवल से थोड़ा ऊपर नहीं उठते तब तक उसमें आत्मीयता नहीं आ पाती और जहां आत्मीयता नहीं है, ऐसे रिलेशन ज्यादा दिन तक नहीं टिक पाते।
(अनिता घोष,राष्ट्रीय सहारा,दिल्ली,9.8.11)

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