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09 अगस्त 2011

क्लाइमेटोलॉजी में करिअर

क्लाइमेटोलॉजी में ऐसे प्रोफेशनल्स की तलाश रहती है जिनमें लॉन्ग टर्म क्लाइमेट ट्रेंड के अध्ययन की काबिलियत हो। किसी खास मौसम के पूर्वानुमान के बारे में जानकारी विशेष कम्प्यूटर सॉफ्टवेयर की सहायता से क्लाइमेटोलॉजि स्ट ही देता है। इनका मौसम संबंधी अनेक सूचनाओं में दखल होता है।

समय से आगे के जलवायु के अध्ययन को क्लाइमेटोलॉजी कहते हैं। यह अत्यंत विशेषीकृत क्षेत्र है जो ऐसे प्रोफेशनल्स की तलाश करता है जिनमें लॉन्ग टर्म क्लाइमेट ट्रेंड के अध्ययन की काबिलियत हो। किसी खास मौसम के पूर्वानुमान के बारे में जानकारी विशेष कंप्यूटर सॉफ्टवेयर की सहायता से क्लाइमेटोलॉजिस्ट ही देता है। इनका मौसम संबंधी विभिन्न सूचनाओं की व्यापक चेन में दखल होता है जिसके जरिये क्लाइमेट मॉडल का निर्माण होता है। इन्हीं मॉडल्स के जरिये उन ऐतिहासिक घटनाओं को समझने का रास्ता मिलता है, जिन्होंने हमारी पृथ्वी के वातावरण को आकार दिया। भविष्य की घटनाओं के बारे में पूर्वानुमान लगाने का आधार भूतकाल की सूचनाएं होती हैं। क्लाइमेटोलॉजिस्ट द्वारा किया गया अध्ययन बिल्डिंग डिजाइनिंग, हीटिंग एंड कूलिंग सिस्टम का प्लान बनाने आदि में काफी उपयोगी होता है। साथ ही, भूमि के प्रभावशाली उपयोग की विधि और फसल के उत्पादन में भी इनका सुझाव कारगर साबित होता है।


कार्य : इस क्षेत्र में तापमान, धूप, बरसात और हवा का अध्ययन शामिल होता है। साथ ही, ये किसी खास सीजन के मौसम का पूर्वानुमान लगाने के लिए समय के कई कालखंड जैसे महीना, साल या दशकों के क्लाइमेट पैटर्न का भी अध्ययन करते हैं। अकसर क्लाइमेटोलॉजी को मेटीरोलॉजी से जोड़ा जाता है जबकि दोनों में अंतर है। मेटीरोलॉजी में शॉर्ट टर्म वेदर पैटर्न का अध्ययन कर उसी के आधार पर पूर्वानुमान लगाया जाता है जबकि क्लाइमेटोलॉजिस्ट्स लॉन्ग टर्म क्लाइमेट ट्रेंड का अध्ययन कर लॉन्ग टर्म परिवर्तन और उन परिवर्तनों का दुनिया पर पड़ने वाले प्रभावों का पूर्वानुमान लगाते हैं। हम जिस वातावरण में रहते हैं, उसे कई चीजें प्रभावित करती हैं और क्लाइमेटोलॉजिस्ट के रूप में आप क्लाइमेट के खास क्षेत्र का अध्ययन करते हैं और उसके बाद भविष्यवाणी करने की कोशिश करते हैं कि इस खास क्षेत्र में लॉन्ग टर्म में क्या होने वाला है। फूड प्रोडक्शन से लेकर लुप्तप्राय पशु-पक्षियों की सुरक्षा यहां तक कि स्वास्थ्य, जीवन की आवश्यकता या जीवन की दौड़ सबकुछ वातावरण पर निर्भर करता है। हालांकि यह क्षेत्र ऐसे ट्रेंड प्रोफेशनल्स की मांग करता है, जिनमें लॉन्ग टर्म क्लाइमेट ट्रेंड के अध्ययन की योग्यता और वातावरणीय परिवर्तनों की भविष्यवाणी के साथ ही उनका पर्यावरण पर पड़ने वाले प्रभाव का अनुमान लगाने की योग्यता हो। अगर आपमें ये खूबियां हैं तो यह प्रोफेशन आपके लिए बिल्कुल सही है।

योग्यता : क्लाइमेटोलॉजिस्ट बनने के लिए आपको हाई स्कूल से ही साइंस और मैथ्स जैसे विषयों में मेहनत शुरू कर देनी होगी। साथ ही, खुद को भिन्न-भिन्न क्लासेस जिनमें फिजिक्स, मेटीरोलॉजी, बायोलॉजी, जूलॉजी, बॉटनी, एंटोमोलॉजी, माइक्रोबायोलॉजी, ओश्नोग्राफी और एस्ट्रोनॉमी आदि भी ज्वाइन करनी पड़ेंगी। साइंस स्ट्रीम में बारहवीं के बाद क्लाइमेटोलॉजी या इससे संबंधित क्षेत्र की बैचलर्स डिग्री आवश्यक है। हालांकि मास्टर्स या डॉक्टोरेट डिग्री इस फील्ड की जटिलता को समझने में सहायता करती है, जिससे यह जॉब और प्रभावशाली ढंग से किया जा सकता है। इस कोर्स के पाठय़क्रम में ओश्नोग्राफी, क्लाइमेटोलॉजी, एस्ट्रोनॉमी, मेटीरोलॉजी, मैथमेटिक्स, एटमॉस्फेरिक साइंस और फिजिक्स जैसे विषय शामिल होते हैं। इस क्षेत्र की पढ़ाई के साथ-साथ, अगर इंटर्नशिप भी कर लिया जाए तो बहुमूल्य प्रैक्टिकल एक्सपीरियंस का लाभ मिलता है। यह ऐसा क्षेत्र है जिसमें लगातार अध्ययन चलता रहता है। क्लाइमेटोलॉजिस्ट चाहें तो नियमित रूप से अपने स्किल्स को अपग्रेड कर सकता है।

कौशल : क्लाइमेटोलॉजिस्ट बनने के लिए आपके अंदर क्लाइमेटोलॉजी के प्रति गहरी दिलचस्पी आवश्यक है। इसके साथ ही आपमें विवेचनात्मक समझ, विस्तृत जानकारी की इच्छा और धुन के साथ ही धैर्य का होना जरूरी है। अपने शोध और खोजों को ज्यादा लोगों के सामने प्रस्तुत करने की योग्यता के साथ इंटर-पर्सनल और कम्युनिकेशन स्किल हो ना जरूरी है। व्यक्तिगत के अलावा आपके अंदर टीम के साथ काम करने का गुण होना अनिवार्य है।

अवसर : क्लाइमेटोलॉजिस्ट की सेवाओं की तलाश प्रोफेशनल सर्विस ऑर्गनाइजेशंस, गवर्नमेंट ऑर्गनाइजेशन, प्रोफेशनल लैबोरेटरीज और नॉन-प्रॉफिट एजेंसीज को रहती है। यह प्रतिस्पर्धी क्षेत्र है, इसलिए यहां उन्हें ज्यादा बेहतर मौका मिलता है, जिनके पास एडवांस ट्रेनिंग और लंबा अनुभव है। क्लाइमेट पैटर्न, कभी भी बदल जाने वाले मौसम और वातावरण पर शोध के बढ़ते स्वरूप के कारण क्लाइमेटोलॉजिस्ट के अवसर लगातार बढ़ते जा रहे हैं। क्लाइमेटोलॉजी के प्रोफेशनल्स की संख्या थोड़ी कम होती है। यही वजह है कि इन प्रोफेशनल्स को सैलरी भी अच्छी मिलती देखी गयी है। भारत के परिप्रेक्ष्य में क्लाइमेटोलॉजी को एटमॉस्फेरिक साइंस का महत्वपूर्ण हिस्सा माना जाता है, जिसके अन्तर्गत पृ थ्वी के गैसीय आउटर रिजन का अध्ययन किया जाता है। कुछ दूसरे महत्वपूर्ण विषय जो एडमॉस्फेरिक साइंस में आते हैं वे हैं- मिटीरोलॉजी, एयरोनॉमी और एग्रीकल्चर मिटीरोलोजी आदि(राष्ट्रीय सहारा,9.8.11)।

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