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13 अगस्त 2011

मध्यप्रदेशःपादरियों व मिशनरी स्कूलों के प्रिंसिपल को सीखनी होगी हिंदी

आर्क बिशप से लेकर पादरी और मिशनरी स्कूलों के प्रिंसिपल तक अब हिंदी की क्लास अटेंड करेंगे। साथ ही आंचलिक भाषा का भी ज्ञान होना अनिवार्य है। हाल में इलाहाबाद में कैथोलिक हिंदी साहित्य समिति की बैठक में ये फैसले लिए गए। जानकारी के अनुसार राज्य के तमाम चर्चो के फादर और ईसाई मिशनरियों द्वारा संचालित अंग्रेजी माध्यम के स्कूलों के गैर हिंदी भाषी प्रिंसिपलों के लिए हिंदी का ज्ञान अनिवार्य कर दिया गया है। हिंदी सीखने के लिए दो माह की क्लास लगाई जाएगी जिसमें हिंदी की व्यवहारिक शिक्षा दी जाएगी। यही नहीं दूरस्थ अंचलों में स्थित चर्चो और स्कूलों के क्रमश: फादर व प्रिंसिपलों को क्षेत्रीय भाषा का कामचलाऊ ज्ञान भी लेना होगा। राज्य में कैथोलिक चर्च के प्रवक्ता फादर आनंद मुटुंगल ने बताया कि बैठक में मध्य प्रदेश समेत अन्य हिंदी भाषी प्रदेशों के लिए कार्य योजना तैयार की गई है। जिसके मुताबिक कैथोलिक चर्च की पूजा पद्धति कोभी हिंदी भाषा में तैयार किया जाएगा तथा हिंदी के बड़े लेखकों और उनके महत्वपूर्ण योगदान पर संगोष्ठी जैसे आयोजन होंगे। दरअसल मिशनरी स्कूलों में ज्यादातर प्रिंसिपल दक्षिण भारत समेत कई गैर हिंदी भाषी राज्यों के हैं। हिंदी कम जानने के कारण कई बार अभिभावकों से बातचीत नहीं हो पाती इसीलिए यह निर्णय लिया गया है। भोपाल में हिंदी सिखाने के लिए पास्टल सेंटर में क्लास भी शुरू हो गई है(दैनिक भास्कर,भोपाल,13.8.11)।

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