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09 अगस्त 2011

आईटी क्षेत्र में घटेगी भर्तियों की रफ्तार

देश के सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) क्षेत्र में नियुक्ति गतिविधियों में 25 फीसद तक की कमी आ सकती है। विशेषज्ञों का कहना है कि स्टैंर्डड एंड पुअर्स द्वारा अमेरिका की ऋण साख घटाने और आर्थिक संकट गहराने का असर देश के इस सबसे बड़े नियोक्ता क्षेत्र की नौकरियों पर पड़ेगा। रीयल एस्टेट क्षेत्र के प्रभावित होने की आशंका है विशेषज्ञों का मानना है कि आईटी क्षेत्र में नियुक्ति गतिविधियों के फिर से रफ्तार पकड़ने में कम से कम पांच से छह माह का समय लगेगा। माईहाइरिंगक्लब.काम के संस्थापक एवं मुख्य कार्यकारी अधिकारी राजेश कुमार ने कहा, ‘हम चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही से आईटी उद्योग में नियुक्तियों में 26 प्रतिशत की कमी की उम्मीद कर रहे हैं। आईटी उद्योग की रफ्तार लौटने में से 5- 6 माह का समय लगेगा।’

कुमार ने कहा, ‘अमेरिका में आर्थिक संकट की वजह से भारतीय आईटी क्षेत्र में रोजगार बाजार प्रभावित होगा। इसकी मुख्य वजह भारतीय कंपनियों के अमेरिकी विभागों में लागत में कटौती होगा। निकट भविष्य में ऐसी भारतीय कंपनियां जिनके अमेरिका में कार्यालय हैं, उनमें श्रमबल का अधिशेष हो जाएगा।’ इसी तरह की राय जाहिर करते हुए इन्फो एज (इंडिया) के समूह अध्यक्ष (वित्त) और मुख्य वित्त अधिकारी अम्बरीष रघुवंशी ने कहा, ‘आईटी क्षेत्र में नियुक्तियों में कमी आएगी।’

देश के 60 अरब डालर के भारतीय आईटी उद्योग की आमदनी में अमेरिकी हिस्सेदारी लगभग 60 प्रतिशत की है। विशेषज्ञों का कहना है कि अन्य उद्योगों में भी रोजगार गतिविधियों पर नकारात्मक असर पड़ेगा। कॉनकार्ड एचआर वर्क्‍स के मुख्य कार्यकारी अधिकारी शेखर घाटोगल्कर ने कहा, ‘आई क्षेत्र के अलावा अन्य उद्योगों में भी नियुक्ति गतिविधियां कम होंगी।’ ज्यादातर आईटी कंपनियों का मानना है कि अमेरिका में एक और मंदी की आशंका है। अभी यह कहना जल्दबाजी होगा कि आगे क्या होगा। हालांकि देश की दो प्रमुख साफ्टवेयर निर्यातक कंपनियों इन्फोसिस और टीसीएस को उम्मीद है कि वे एक और संकट का मुकाबला कर पाएंगी। इन्फोसिस के सीईओ और प्रबंध निदेशक कृस गोपालकृष्णन ने कहा, ‘अभी कुछ कहना जल्दबाजी होगा। अमेरिका में एक और मंदी और यूरोप में ऋण संकट को लेकर आशंका बनी है।’(राष्ट्रीय सहारा,दिल्ली,9.8.11)

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