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10 अगस्त 2011

मुंबई यूनिवर्सिटीःअब अटेंडेंस के भी नंबर

शहर में 130 से ज्यादा अंडर ग्रेजुएट कॉलेज हैं। इनमें से 10 फीसदी कॉलेजों में ही 70-80 फीसदी अटेंडेंस रहती है। बाकी 90 फीसदी में फर्स्ट ईयर को छोड़ किसी भी क्लास में 40 फीसदी से ज्यादा स्टूडेंट्स रेगुलर नहीं आते। इसी को देखते हुए यूजीसी और नेक की सिफारिश पर यह सिस्टम लागू किया गया है।

मुंबई यूनिवर्सिटी ने सभी कॉलेजों में इसे लागू कर दिया है, जबकि हमारे यहां यूनिवर्सिटी के इन दो डिपार्टमेंट ने ही पहल की है। कोशिश है कि स्टूडेंट्स का क्लास में इन्वाल्वमेंट बढ़े। वे अपनी जरूरत और पसंद के हिसाब से विषय चुन सकें। कम्प्यूटर साइंस के डॉ. ए.के. रमानी का कहना है क्रेडिट सिस्टम में विषय चुनने की आजादी से स्टूडेंट्स की पढ़ने में रुचि बढ़ेगी। इसमें मनचाहे कॉलेज में पढ़ने का भी प्रावधान है। फिलहाल यूनिवर्सिटी के कम्प्यूटर साइंस डिपार्टमेंट और इलेक्ट्रॉनिक्स डिपार्टमेंट्स के स्टूडेंट्स दोनों में से कहीं भी क्लास अटेंड कर सकते हैं।

यह है क्रेडिट सिस्टम
क्रेडिट सिस्टम में स्टूडेंट्स को अटेंडेंस, टेस्ट, प्रोजेक्ट सहित अन्य गतिविधियों के भी नंबर यानी क्रेडिट दिए जाएंगे। स्कूलों में चलने वाले सीसीई पैटर्न की तरह ये मॉर्क्‍स स्टूडेंट्स के फाइनल रिजल्ट में जुड़ेंगे। इसके अलावा स्टूडेंट्स किसी कोर्स में मनचाहे विषय ले सकेगा। जैसे एमबीए फॉरेन ट्रेड का स्टूडेंट इकोनॉमिक्स भी पढ़ सकेगा।


ऐसे काम करेगा क्रेडिट सिस्टम 
- कोर्सेस में मनचाहे विषय पढ़ने की आजादी। 
- एक से अधिक कॉलेजों में लेक्चर अटेंड करने की इजाजत। 
- अटेंडेंस और क्लास में एक्टिव रहने के मार्क्‍स मिलेंगे। 
- प्रोजेक्ट और रिसर्च के लिए अलग से मार्क्‍स।

ये फायदा होगा
- जरूरत के अनुसार पढ़ाई कर सकेंगे।
- विषय एक्सपर्ट की कमी का असर कम होगा। 
- किसी भी देश, राज्य या शहर बदलने पर क्रेडिट ट्रांसफर। 

ये बदलाव करना होंगे
- क्लासेस को और रुचिकर बनाना होगा। 
- सिस्टम के लिए नई एक्टिविटी बनाना होगी। 
- वैल्यूएशन सिस्टम में संशोधन करना होगा। 
- क्रेडिट के आधार तय करना होंगे।

फर्स्ट ईयर में ही आते हैं
01 यूनिवर्सिटी
130 पोस्ट ग्रेजुएट कॉलेज
70 हजार से ज्यादा स्टूडेंट्स
75 फीसदी उपस्थिति सिर्फ फर्स्ट ईयर में
40 फीसदी अन्य सालों में(गजेंद्र विश्वकर्मा,दैनिक भास्कर,मुंबई,10.8.11)।

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