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05 अगस्त 2011

बिहारःगलत हुआ वेतन निर्धारण, वापस करना होगा पैसा

छठे वेतन पुनरीक्षण के क्रम में गलत लिपिकीय और समकक्ष कतिपय सेवाओं में गलत तरीके से वेतन निर्धारण हो गया है। गलत वेतन निर्धारण की वजह से बड़ी संख्या में कर्मियों को मोटी राशि लौटानी होगी। मोटे आकलन के अनुसार बड़ी संख्या में गलत वेतन निर्धारण के कारण लोगों को डेढ़ से दो हजार रुपये मासिक का अधिक वेतन निर्धारण करते हुए भुगतान हो रहा है। चूंकि अप्रैल 2007 के प्रभाव से आर्थिक लाभ मिला है। ऐसे में राशि बड़ी हो जायेगी। मूल्य समस्या शिड्यूल-2 के कारण है। विभिन्न शिड्यूल के तहत अलग-अलग पदों के लिए वेतनमान, वेतन बैंड और ग्रेड पे की व्यवस्था है। वित्त विभाग ने 1 अगस्त को इस संबंध में आदेश जारी कर दिया है। विभागों, प्रमंडलीय आयुक्तों, जिलाधिकारियों के नाम जारी पत्र में कहा गया है कि वित्त विभाग के समक्ष पुनरीक्षित वेतन की जांच के क्रम में ऐसे मामले सामने आये हैं जिनमें वित्त विभाग के संकल्प 630 (21 जनवरी 2010) के शिड्यूल-2 का प्रयोग कर त्रुटिपूर्ण वेतन निर्धारण किया गया है। कहा गया है कि उस संकल्प की कंडिका 7 में पहली जनवरी 2006 के पूर्व से कार्यरत कर्मचारियों के वेतन निर्धारण की विधि का वर्णन है। इसमें कहीं भी शिड्यूल-2 का उल्लेख नहीं है। यानी इन कर्मियों के लिए शिड्यूल-2 के अनुसार न्यूनतम वेतन अनुमान्य नहीं है। पाराग्राफ 8 एवं शिड्यूल-2 उन कर्मचारियों के लिए है जिनकी विशिष्ट ग्रेड-पे के पद पर पहली जनवरी 06 को उसके बाद 31 दिसम्बर 08 तक सीधी नियुक्ति हुई हो। कहा गया है कि ऐसे लिपिक जिन्हें सामान्य प्रशासन विभाग के 9 फरवरी 09 के आदेश के आलोक में 4 जनवरी 08 के प्रभाव से द्वितीय सुनिश्चित वृत्ति उन्नयन योजना (एसीपी) के तहत अपुनरीक्षित वेतनमान में 6500 से 10500 का वेतन स्वीकृत किया गया है उनका पुनरीक्षित वेतनमान में वेतन पुनरीक्षण में शिड्यूल टू का प्रयोग नहीं किया जायेगा। यानी 4600 ग्रेड-पे के लिए न्यूनतम वेतन 17140 रुपये अनुमान्य नहीं होगा। निर्देश दिया गया है कि गलत तरीके से वेतन निर्धारण को सुधार लिया जाये और अधिक भुगतान की गयी राशि की वसूली सुनिश्चित की जाये(दैनिक जागरण,पटना,5.8.11)।

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