मध्यप्रदेश काडर के एक चौथाई आईएफएस अधिकारियों के प्रमोशन और प्रतिनियुक्ति पर तलवार लटक गई है। केंद्र सरकार के निर्देशों के बावजूद 271 आईएफएस अफसरों में से 67 ने समय पर अपनी संपत्ति का ब्यौरा सार्वजनिक नहीं किया है।
केंद्रीय कार्मिक मंत्रालय (डीओपीटी) द्वारा 4 अप्रैल 2011 को जारी एक परिपत्र के अनुसार अखिल भारतीय सेवाओं के सभी अधिकारियों को अपनी संपत्तियों का ब्यौरा 31 मई 11 तक अपने विभाग को देना अनिवार्य किया गया है। इसमें यह भी कहा गया है कि ऐसा न होने पर संबंधित अधिकारी के प्रमोशन और प्रतिनियुक्ति पर विचार नहीं किया जाएगा।
हालांकि प्रधान मुख्य वन संरक्षक (पीसीसीएफ) और अपर प्रधान मुख्य वन संरक्षक (एपीसीसीएफ) स्तर के 32 अधिकारियों में से तीन को छोड़कर सभी ने अपनी संपत्ति का ब्यौरा दे दिया है। ब्यौरा नहीं देने वालों में अमरजीत सिंह जोशी (एपीसीसीएफ) महिमन सिंह गव्र्याल (एपीसीसीएफ) और एएस अहलावत (एपीसीसीएफ)प्रमुख हैं। वहीं मुख्य वन संरक्षक (सीसीएफ) से लेकर वन मंडलाधिकारी (डीएफओ) स्तर के 239 अधिकारियों में से 64 ने अपनी संपत्ति सार्वजनिक नहीं की हैं।
1981 और 1988 बैच वाले रहेंगे मुश्किल में
आने वाले समय में 1981 और 1988 बैच के आईएफएस अफसरों की डीपीसी होना प्रस्तावित है। संपत्ति का ब्यौरा नहीं देने वालों में 1981 बैच के प्रवीण कुमार चौधरी, 1988 बैच के सुनील अग्रवाल, वीएन अम्बाड़े, रमेश कुमार श्रीवास्तव, के रमन और असीम श्रीवास्तव शामिल हैं।
हमारी जानकारी में केंद्र का ऐसा कोई भी परिपत्र नहीं है जिसमें संपत्ति का ब्यौरा सार्वजनिक नहीं किए जाने पर प्रमोशन रोकने की बात कही गई हो।
रमेश के. दवे, प्रधान मुख्य वन संरक्षक, मप्र
केंद्रीय कार्मिक मंत्रालय के परिपत्र पर हमारा ध्यान नहीं जा पाया था। अब आपने बताया है तो इस पर तत्काल कार्रवाई करवाऊंगा।
स्वदीप सिंह, प्रमुख सचिव, वन(सचिन शर्मा,दैनिक भास्कर,भोपाल,4.8.11)
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