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09 अगस्त 2011

मेरठःकंप्यूटर डिब्बों में बंद, कैसे सीखें छात्र?

माध्यमिक शिक्षा परिषद के सहायता प्राप्त, अशासकीय और शासकीय कालेजों में कंप्यूटर शिक्षा का हाल बेहाल है। किसी कालेज में कंप्यूटर तो आ गया है, लेकिन कक्ष नहीं है। कहीं कक्ष हैं तो कंप्यूटर के योग्य प्रशिक्षक नहीं, प्रशिक्षक हैं तो कंप्यूटर चलाने के लिए जनरेटर में तेल नहीं, सब कुछ है तो कंप्यूटर शिक्षा के लिए कोई निर्धारित पाठ्यक्रम नही है। जिले अभी भी कंप्यूटर शिक्षा डिब्बा बंद ही है। एसएसडी ब्वायज इंटर कालेज लालकुर्ती में दस कंप्यूटर में से दो खराब पड़े हैं। कंप्यूटर चलाने के लिए जनरेटर तो है, लेकिन चलाने के लिए गैस नहीं है। केके इंटर कालेज में कंप्यूटर आ गए हैं, लेकिन डिब्बे में कंप्यूटर रखे हुए हैं। जनरेटर में डीजल कहां से आएगा पता नहीं। जवाहर इंटर कालेज राड़धना में कंप्यूटर, जेनरेटर भेज दिए गए, प्रशिक्षक का पता नही है। कंप्यूटर में उपयोग करने वाली स्टेशनरी भी नदारद है। जिले के अन्य कालेजों में कंप्यूटर शिक्षा का कमोवेश यही हाल है। कक्षा छठी से आठवीं तक कंप्यूटर को अनिवार्य रूप में और नौवीं से बारहवीं कक्षा में वैकल्पिक शिक्षा के रूप में इसकी शिक्षा दी जानी है। अधिकांश कालेजों में कंप्यूटर लगने के बाद भी बच्चों के हाथ अभी माउस नहीं पहुंच पाई है। कंप्यूटर प्रशिक्षक केवल कागज पर कंप्यूटर के विषय में बता रहे हैं। प्रधानाचार्य नित्यानंद शर्मा, डा. वीर बहादुर सिंह, सुशील कुमार सिंह ने बताया कि इस साल को शैक्षणिक गुणवत्ता के रूप में मनाया जा रहा है, विभाग ने कंप्यूटर दे दिया है, लेकिन संचालन की व्यवस्था सही नहीं हो पायी है। कंप्यूटर लगाने व चलाने की जिम्मेदारी एजेंसी की डीआइओएस कमलेश कुमार ने बताया कि पिछले साल 24 स्कूलों में कंप्यूटर लगाए गए। इस साल 54 स्कूलों में भेजे गए, 64 स्कूलों में और कंप्यूटर लगने वाले हैं। कंप्यूटर लगाने और चलाने की जिम्मेदारी एजेंसी को सौंपी गई है। अगर कंप्यूटर इंस्टाल न करके डिब्बे में पड़ा है तो गंभीर लापरवाही है। जल्द ही संबंधित एजेंसियों की बैठक बुलाकर कार्रवाई होगी(दैनिक जागरण,मेरठ,9.8.11)।

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