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09 अगस्त 2011

जेंडर स्टडीज

यह कोर्स देश में समुचित और सतत विकास को सुनिश्चित कराने में मदद करता है। जेंडर भेदभाव खत्म करने, औरतों के श्रम का सही इस्तेमाल कैसे हो, इसमें सरकार को मदद देता है। जेंडर के स्तर पर आर्थिक गैरबराबरी को खत्म करता है।

महिलाओं के सामाजिक व आर्थिक उत्थान को आज देश के समग्र विकास से जोड़ा जा रहा है। इस विकास को अमलीजामा पहनाने में जेंडर स्टडीज की भूमिका अहम है। यह सरकारी योजनाओं की एक जरूरत सी बन गयी है।साथ ही, उन छात्रों के लिए भी जो इस क्षेत्र में काम करना चाहते हैं। इसलिए विविद्यालयों में जें डर स्टडीज के लिए आए दिन अलग-अलग विभाग खुल रहे हैं और उनमें तरह-तरह के कोर्स भी कराए जा रहे हैं। इस कोर्स को करने वालों को आज स्वयंसेवी संगठन और सरकारी संस्थान करियर के नये अवसर प्रदान कर रहे हैं, कहीं शोध के बहाने तो कहीं फील्ड वर्क के रूप में।


कोर्स क्या : जेंडर स्टडीज पर आधारित कोर्स मुख्यत: तीन तरह के हैं। पहला सर्टिफिकेट कोर्स है। इसमें आमतौर पर जेंडर और इसके तहत महिलाओं के सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक विकास के अध्ययन की रूपरेखा बताई जाती है। समाज का ढांचा क्या है, वह पितृसत्तात्मक है या मातृसत्तात्मक। उसमें महिलाओं की स्थिति क्या रही है? इन सब बातों से रू-ब-रू कराया जाता है। समाज में महिलाओं के लिए क्या-क्या कानून बने हैं, उनके अधिकार क्या हैं, इन सब बातों की जानकारी दी जाती है। दूसरा डिप्लोमा कोर्स है जिसमें इन सब बातों को विस्तार दिया जाता है और डिग्री-डिग्री के स्तर पर इसे और भी गहन बनाया जाता है। एमए यानी पोस्ट ग्रेजुएशन में जेंडर स्टडीज के तहत औरतों को मुख्यधारा में कैसे लाया जाए, देश या किसी समुदाय में गरीबी रेखा से नीचे कितनी औरतें रह रही हैं, उनका विकास कैसे हो- इन सब बातों पर जोर दिया जाता है। औरतें उद्यमी कैसे बनें। सरकारी नीति के स्तर पर इसे कैसे प्रभावी बनाया जाए, इसकी रूपरेखा से अवगत कराया जाता है। इस क्षेत्र में विभिन्न विविद्यालयों में एमफिल और पीएचडी भी अब खूब हो रहे हैं।

क्या कहते हैं विशेषज्ञ : इग्नू में स्कूल ऑफ जेंडर एंड डेवलपमेंट स्टडीज की निदेशक सविता सिंह के मुताबिक, आज सरकारी स्तर पर जेंडर बजटिंग, कॉरपोरेट हाउस में जेंडर सेंसेटाइजेशन के प्रोग्राम चलते हैं। इन सब प्रोग्राम को अमलीजामा पहनाने के लिए जरूरी है कि कोई न कोई जेंडर स्टडीज का एक्सपर्ट काम करे। कॉरपोरेट हाउस की तरह मेडिकल साइंस में भी देखा जाता है कि ऐसी कौन-सी दवाएं प्रयोग में लाएं या तैयार करें, जो महिला और पुरुष में समान रूप से प्रयोग लायक हों। मेडिकल के अलावा, अन्य विभागों या क्षेत्रों में भी पॉलिसी तैयार करते वक्त जेंडर स्टडीज की जरूरत पड़ रही है। इसलिए एक यूनिवर्सल कोर्स बनाया गया है। एमए स्तर के दो वर्षीय कोर्स में इन सब पहलुओं से ही छात्रों को रू-ब- रू कराया जाता है। एमए के बाद इस विषय में अब विविद्यालयों में एमफिल और पीएचडी भी कराई जा रही है। यह कोर्स देश में समुचित और सतत विकास को सुनिश्चित कराने में मदद करता है। जेंडर भेदभाव खत्म करने, औरतों के श्रम का सही इस्तेमाल कैसे हो, इसमें सरकार को मदद देता है। जेंडर के स्तर पर आर्थिक गैरबराबरी को खत्म करता है।

दाखिले की प्रक्रिया : विविद्यालय स्तर पर सर्टिफिकेट और डिप्लोमा कोर्स में दाखिला आमतौर पर स्नातक के बाद दिया जाता है। कहीं साक्षात्कार की प्रक्रिया से, तो कहीं अंकों के आधार पर। दिल्ली विविद्यालय में वूमेंस स्टडीज एंड डेवलपमेंट सेंटर के तहत जेंडर एंड सोसाइटी नाम से चलने वाले सर्टिफिकेट कोर्स में स्नातक पास छात्रों को साक्षात्कार के जरिए दाखिला दिया जाता है। एमए स्तर पर दाखिला कहीं सीधे तो कहीं लिखित परीक्षा से है।

रोजगार और कार्य क्षेत्र

इस कोर्स को करने के बाद आज बड़ा अवसर विभिन्न स्वयंसेवी संगठनों में है। महिला सशक्तिकरण और उसकी योजनाओं से जुड़े एनजीओ के पास इस कोर्स के छात्रों की मांग अब खूब आ रही है। दूसरा सरकारी स्तर पर विभिन्न संस्थानों में प्रोजेक्ट के तहत जेंडर स्टडीज के विशेषज्ञों की जरूरत पड़ रही है। दिल्ली सरकार ने भागीदारी स्कीम शुरू की है। इसमें महिला सशक्तिकरण के लिए कई योजनाएं शुरू की गई हैं। इन योजनाओं में जेंडर स्टडीज के विशेषज्ञों को काम करने का मौका मिलता है। इस कोर्स को करने के बाद रिसर्च संस्थाओं में भी काम मिलते देखा गया है। विभिन्न विविद्यालय इससे जुड़े अलग से विभाग खोल रहे हैं। इनमें प्राध्यापन औ र प्रोजेक्ट से जुड़े काम में जेंडर स्टडीज के छात्रों को मौका दिया जा रहा है। दिल्ली विविद्यालय में ‘जेंडर एंड सोसाइटी’ नाम से सर्टिफिकेट कोर्स कराया जा रहा है। इग्नू में एमए इन वूमेंस एंड जेंडर स्टडीज का कोर्स चलाया जा रहा है। इसे कैंपस मोड में शुरू किया गया है। इसके अलावा, वहां एमए स्तर पर जेंडर एंड डेवलपमेंट स्टडीज का कोर्स भी है। सर्टिफिकेट स्तर पर वहां जेंडर ट्रेनिंग और जेंडर डेवलपमेंट प्रोजेक्ट का कोर्स कराया जा रहा है। यहां जेंडर एंड डेवलपमेंट स्टडीज और वूमेंस स्टडीज में डिप्लोमा कोर्स भी चल रहा है। महात्मा गांधी हिन्दी अंतरराष्ट्रीय विविद्यालय भी महिला अध्ययन में एमए का कोर्स करा रहा है। इसके अलावा, दे श के अन्य दूसरे विविद्यालयों में भी इससे जुड़े कोर्स चलाए जा रहे हैं।

-दिल्ली विविद्यालय 
-इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विविद्यालय 
-महात्मा गांधी हिन्दी अंतरराष्ट्रीय विविद्यालय 
-भीमराव अंबेडकर विविद्यालय, दिल्ली
(अनुपम,राष्ट्रीय सहारा,9.8.11)

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