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05 अगस्त 2011

छत्तीसगढ़ःमेडिकल काउंसिलिंग में हंगामा

प्री मेडिकल टेस्ट के बाद इस साल एमबीबीएस में प्रवेश के लिए हो रही काउंसिलिंग की प्रक्रिया भी विवादों में उलझ गई। बखेड़ा नए नियम को लेकर है, जिसमें एमबीबीएस के लिए वेटिंग लिस्ट की व्यवस्था को ही खत्म कर दिया गया है। गुरुवार को एमबीबीएस की लगभग सीटें भरने के बाद बाकी बचे परीक्षार्थियों से कहा गया है कि शुक्रवार को होने वाली काउंसिलिंग से पहले वे डेंटल में प्रवेश लेने का शपथ-पत्र दें। इसके साथ यह शर्त भी जोड़ दी गई कि भविष्य में सीट खाली होने पर वेटिंग लिस्ट में शामिल छात्र को अगर एमबीबीएस में प्रवेश का मौका मिलता है, तो डेंटल कॉलेज छोड़ने की एवज में उसका दो लाख रुपए का बांड जब्त कर लिया जाएगा।

साफ है कि एमबीबीएस की सीट के लिए दो लाख रुपए की चपत पालक को लगेगी।नए प्रावधान को लेकर छात्र-छात्राओं और पालकों ने जमकर हंगामा किया। इसके चलते काउंसिलिंग कई घंटे अटकी रही। परेशान चिकित्सा शिक्षा संचालक डॉ. सुबीर मुखर्जी को काउंसिलिंग को बीच में ही छोड़कर स्वास्थ्य मंत्री और सचिव से चर्चा के लिए मंत्रालय जाना पड़ा। राज्य शासन ने इस नियम को लेकर उनसे रिपोर्ट ली है।इस पर फैसला शुक्रवार या शनिवार को होगा।


बदले नियमों से बिफरे अभिभावकों ने आरोप लगाया है कि राज्य में आखिरी बार काउंसिलिंग होने की वजह से सीटों के आवंटन को लेकर जमकर खेल हो रहा है। आज पहले दिन कड़ी सुरक्षा के बीच एमबीबीएस सीटों के लिए काउंसिलिंग शुरू हुई। मेडिकल कॉलेजों में सीटों के आवंटन के लिए छात्रों के फॉर्मो की स्क्रूटिनी सुबह 9 बजे से शुरू हुई। दस्तावेजों की जांच के बाद दोपहर 12 बजे से जैसे ही सीटों का आवंटन शुरू हुआ, हंगामा शुरू हो गया। दरअसल इस साल चिकित्सा शिक्षा संचालनालय ने दूसरे चरण की काउंसिलिंग में उन्हीं उम्मीदवारों को शामिल करने का फैसला लिया है, जिन्होंने वैकल्पिक सीट का चयन किया है। सीट आवंटन के साथ ही छात्रों से शपथ पत्र भी भरवाया गया कि लिए गए संस्था को छोड़ने पर उनका दो लाख रुपए का बांड जब्त कर दिया जाएगा। छात्रों ने इस नए नियम का पुरजोर विरोध शुरू कर दिया। 

उम्मीदवारों ने खुद को एमबीबीएस वेटिंग लिस्ट में डालने की मांग की। इस पर अधिकारियों ने कहा कि डेंटल सीट का अलाटमेंट नहीं करवाने पर वे काउंसिलिंग से बाहर हो जाएंगे। काउंसिलिंग हॉल में माहौल गरमाता देख अधिकारी रायपुर मेडिकल कॉलेज के डीन कार्यालय पहुंच गए। एक घंटे से भी ज्यादा की माथापच्ची के बाद डीएमई डॉ. सुबीर मुखर्जी पूरी स्थिति की जानकारी देने दोपहर एक बजे मंत्रालय रवाना हो गए। दोपहर लगभग 3 बजे वापस लौटने पर उन्होंने बताया कि राज्य सरकार ने इस संबंध में प्रस्ताव मांगा है, जिसे संचालनालय की ओर से दे दिया गया है।

रो पड़े उम्मीदवार : बिलासपुर से पहुंची उम्मीदवार अजरा खान का मेरिट क्रमांक 139 था, उन्हें बिलासपुर मेडिकल कॉलेज में एमबीबीएस की सीट मिलने की उम्मीद थी। अधिकारियों ने दो टूक कहा कि जगदलपुर में एक ही एमबीबीएस की सीट खाली है इसलिए लेना है तो इसे ही लो, नहीं तो बाहर हो जाओ। अधिकारियों के इस रवैये से अजरा वही रो पड़ी। उनके साथ आई उनकी मां साजिदा खान भी अधिकारियों के इस बर्ताव पर अपने आंखों से आंसू रोक नहीं पाईं।

डेंटल पढ़ रहे छात्रों से कहा-फिर पढ़ो डेंटल: डेंटल कॉलेज में बीडीएस द्वितीय वर्ष की छात्रा शीतल यादव ने बताया कि मेरिट लिस्ट में उनका क्रमांक 145 है। सामान्य वर्ग में 141 में एमबीबीएस की काउंसिलिंग खत्म हो गई। उन्होंने एमबीबीएस की प्रतीक्षा में जगह मांगी तो उन्हें नए नियम के तहत बीडीएस की सीट लेने को कहा गया। 

शीतल ने बताया कि वे पहले से ही डेंटल की छात्रा हैं, ऐसे में फिर से कैसे बीडीएस की पढ़ाई कर सकती हैं। कुछ ऐसा ही मामला रायपुर डेंटल कॉलेज के छात्र प्रशांत मिश्रा का भी था। उनका मेरिट क्रमांक 152 है। उन्होंने भी वेटिंग लिस्ट मांगी तो दूसरे दौर की काउंसिलिंग में शामिल होने के लिए डेंटल की सीट लेने को कहा गया। ऐसे एक-दो नहीं एक दर्जन से ज्यादा मामले काउंसिलिंग के दौरान दिखाई दिए। अधिकारियों ने यह भी साफ कर दिया कि बीडीएस की सीट छोड़ने पर दो लाख रुपए की पेनाल्टी भी भरनी होगी।

डॉ. राज और एनएसयूआई ने किया हस्तक्षेप
काउंसिलिंग में नए नियम से परेशान होकर ओबीसी वर्ग के एक दर्जन से ज्यादा उम्मीदवार अपनी शिकायतों को लेकर छत्तीसगढ़ हज कमेटी के चेयरमैन डॉ. सलीम राज के पास पहुंच गए। उन्होंने अभिभावकों के साथ डीएमई डॉ. सुबीर मुखर्जी से मुलाकात कर नियम में संशोधन की मांग की। इस दौरान दोपहर 12 से 1 बजे तक काउंसिलिंग बंद रही। छात्रों के बढ़ते हंगामे की वजह से देर शाम एनएसयूआई के प्रदेशाध्यक्ष संजीव शुक्ला पदाधिकारियों के साथ मेडिकल कॉलेज पहुंच गए। उन्होंने राज्य सरकार और डीएमई के खिलाफ जमकर नारेबाजी भी की। छात्रों के उग्र होने से पहले ही वहां बड़ी संख्या में पुलिस पहुंच गई।

आरक्षित वर्ग की सीटों में बड़ा खेल
छात्रों के साथ पहुंचे अभिभावकों ने काउंसिलिंग अधिकारियों पर आरोप लगाया कि आरक्षित वर्ग की सीटों पर बड़ा खेल किया जा रहा है। सामान्य वर्ग की सीटों को भी आरक्षित वर्ग वाले उम्मीदवारों को आवंटित कर दी गई। यही वजह है कि एसटी, एससी और ओबीसी की मेरिट लिस्ट 75 के पहले ही खत्म हो गई। फ्रीडम फाइटर और विकलांग कोटे की सीटों के लिए उम्मीदवारों के मेरिट क्रमांक 2 से आगे बढ़ी ही नहीं। इस वजह से पीछे के सभी उम्मीदवारों को निराशा ही हाथ लगी(दैनिक भास्कर,रायपुर,5.8.11)।

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