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08 अगस्त 2011

हिमाचप्रदेश यूनिवर्सिटीःखाली रह गई बीएड की हजारों सीटें

एचपी यूनिवर्सिटी की ओर से बीएड दाखिले के लिए बनाए गए नियम छात्रों के लिए मुसीबत बन गए हैं। आयु सीमा लगने से सैकडों छात्रों को दूसरे राज्यों का पलायन करना पड़ रहा है। इससे जहां एक ओर बीएड कॉलेजों में हर साल हजारों सीटें खाली रह रही हैं वहीं, यूनिवर्सिटी प्रशासन और निजी बीएड कॉलेजों को भी लाखों का नुकसान उठाना पड़ रहा है। इस साल भी बीएड की 4000 सीटें खाली पड़ी हैं। प्रशासन न तो दाखिले की तिथि बढ़ा रहा है और न ही इन सीटों को भरने के लिए कोई प्रयास कर रहा है।


सब्जेक्ट कंबिनेशन भी छात्रों के लिए परेशानी खड़ी कर रहा है। ग्रेजुएशन में संस्कृत, हिंदी व संगीत पढ़ने वाले छात्र बीएड की योग्यता को पूरा नहीं करते। संस्कृत, अंग्रेजी और हिंदी पढ़ने वाले छात्र भी भी बीएड में दाखिला नहीं ले सकते। सब्जेक्ट कंबिनेशन के चलते भी दर्जनों छात्र बीएड में एडमिशन नहीं ले पा रहे हैं। उधर, हिमाचल प्रदेश बीएड कालेज संघ इस बारे में जल्द ही कुलपति से मिलने जा रहा है। संघ के महासचिव वेद शर्मा का कहना है कि खाली सीटों को भरने के लिए एडमिशन की तिथि बढ़ाई जानी चाहिए। साथ ही एडमिशन की विभिन्न शर्तो पर भी फिर विचार करना चाहिए।

यूनिवर्सिटी की ओर से दाखिले के लिए निर्धारित की गई आयुसीमा सैकडों छात्रों को बीएड से वंचित रख रही है। दूसरे राज्यों के कॉलेजों में आयुसीमा की कोई शर्त नहीं है।बीएड करने के लिए सामान्य वर्ग के छात्रों के लिए 26 वर्ष और छात्राओं के लिए 28 वर्ष आयुसीमा निर्धारित है। एससी, एसटी और ओबीसी वर्ग से संबंध रखने वाले छात्रों के लिए 29 वर्ष आयुसीमा हैं। ऐसे में जिन छात्रों की आयु इससे अधिक हैं उन्हें दूसरे राज्यों में जाकर बीएड करनी पड़ रही है(अशोक चौहान,दैनिक भास्कर,शिमला,8.8.11)।

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