राजधानी के दस लाख नौनिहालों को बेहतर शिक्षा देने का दावा करने वाले दिल्ली नगर निगम के स्कूलों में आज भी डेढ़ लाख बच्चे जमीन पर बैठकर पढ़ने के लिए मजबूर हैं।
फिलहाल राजधानी में नगर निगम के 1729 स्कूल संचालित होते हैं। नौनिहालों को बेहतर तालीम देने के लिए निगम रोज नई योजनाओं की घोषणा करता है, लेकिन इन स्कूलों में जमीन पर बैठने वाले लगभग 15 फीसदी नौनिहालों के लिए पिछले डेढ़ साल से नगर निगम बेंच तक नहीं खरीद पाया है। आलम यह है कि निगम के इन स्कूलों में एक बेंच पर दो बच्चों को बैठाया जाता है।
फिलहाल, इन स्कूलों में 70 हजार बेंचों की कमी हैं। अधिकारियों का कहना है कि इस समस्या से निपटने के लिए निगम जितनी देरी करेगा, उतनी ही बेंचों की जरूरत और बढ़ती जाएगी, क्योंकि हर स्कूल में रोज कई बंेच टूट जाते हैं। खास बात यह है कि इस समस्या को कई बार नगर निगम की स्थायी समिति में भी उठाया गया। इसके बावजूद योजना को अमलीजामा पहनाने में देरी हो रही है।
इस मामले में निगम में शिक्षा समिति के अध्यक्ष डॉ. महेंद्र नागपाल का कहना है कि तकनीकी समस्याओं की वजह से टेंडर प्रक्रिया में देरी हो रही हैं। इस समस्या से निजात पाने के लिए अब नगर निगम भी सीपीडब्ल्यूडी के नियमों को अपनाते हुए टेंडर प्रक्रिया जारी करेगा। यह समस्या अगले पांच से छह महीने में दूर हो जाएगी।
ज्ञात हो कि इस समस्या से निजात पाने के लिए नगर निगम एक समिति का भी गठन कर चुका है। इसकी सिफारिश पर ही नियमांे में परिवर्तन करने की तैयारी है। पीएसकेबी टीचर्स यूनियन के सुप्रीमो रामकिशन पूनिया का कहना है कि निगम वास्तविक जरूरतों के बदले अन्य गैरजरूरी कार्यो पर धन खर्च करता है और वास्तविक समस्याओं को दूर करने के लिए ठोस नीति नहीं बनाई जाती है(बलिराम सिंह,दैनिक भास्कर,दिल्ली,स्वतंत्रता दिवस,2011)।
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