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27 अगस्त 2011

मैनेजमेंट छात्रों के लिए ब्रांड बने अन्ना

अन्ना हजारे के भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन को प्रबंधन विशेषज्ञ किसी व्यावसायिक ब्रांड के समानांतर सामाजिक-राजनीतिकब्रांड की संज्ञा दे रहे हैं। इस आंदोलन को प्रबंधन छात्रों की पढ़ाई में शामिल किया गया है। इसी श्रृंखला में दिल्ली विविद्यालय के प्रतिष्ठित संस्थान फैकल्टीज ऑफ मैनेजमेंट स्टडीज (एफएमएस) में ‘अन्ना एक ब्रांड के रूप में’ पढ़ाया जा रहा है। संस्थान के डॉ. हषर्वर्धन वर्मा ने बताया, ‘मैनेजमेंट और मार्केटिंग विशेषज्ञ के तौर पर हम किसी व्यावसायिक ब्रांड और अन्ना हजारे के आंदोलन, दोनों में कई समानता देखते हैं ।’ विशेषज्ञों को अन्ना और उनके आंदोलन में एक सशक्त ब्रांड के सारे लक्षण दिखाई देते हैं। जानीमानी विज्ञापन एजेंसी जो डब्ल्यूटी , गुड़गांव के सीनियर क्रि एटिव डायरेक्टर प्रणव हरिहर शर्मा के मुताबिक कोई भी ब्रांड तब बनता है जब उसके पीछे कोई बड़ा आइडिया हो। आज के समय में अन्ना हजारे भ्रष्टाचार के खिलाफ मुख्य विचार बन गए हैं। शर्मा ने कहा कि अन्ना के आंदोलन में किसी धर्म, मत, वर्ग और उम्र की सीमा नहीं है और उनकी खुद की साफ-सुथरी छवि उन्हें इस रूप में ब्रांड बनाती है कि लोग जिसमें भरोसा कर सकें। डॉ. वर्मा ने बताया कि प्रबंधन विशेषज्ञों को अन्ना की मुहिम में एक ब्रांड से जुड़ी तीन प्रमुख चीजें देखने को मिलीं । पहली बात, किसी उत्पाद को कितने लोग खरीदते हैं, और इस मामले में आंदोलन को विशेषज्ञों ने इस रूप में देखा कि आंदोलन के साथ कितने लोग जुड़े हैं। दूसरी चीज कि लोग अपना भरपूर समय दे रहे हैं और दिल्ली के अलावा देश के दूसरे सुदूर कोनों से भी आ रहे हैं, जिसे विशेषज्ञ किसी ब्रांड के लिए अदा कीमत के तौर पर देख सकते हैं। ये बात भी शामिल होती है कि एक ब्रांड को पाने के लिए लोग कितनी परेशानी झेल सकते हैं। डॉ. वर्मा ने बताया कि इस मुहिम के साथ उन्होंने मैनेजमेंट के छात्रों की पढ़ाई में अन्ना को ब्रांड के तौर पर शामिल किया है और मंगलवार को एफएमएस के छात्रों को इस पर व्याख्यान भी दिया। उन्होंने अपने ब्लॉग में इस आंदोलन के कुछ नए प्रतीक गढ़े हैं । मसलन आंदोलन का स्थान एक मैदान यानी जमीन है, जिसका अर्थ ‘नीचे’ से लगाया है और इसके विरोध में सरकार ‘ऊपर’ है। उसी तरह लोग मोमबत्ती और मशाल जलाकर रोशनी कर रहे हैं, जो कि प्रतीकात्मक रूप में अंधेरे के खिलाफ है। इसके पहले फिल्म ‘रंग दे बंसती’, ‘चक दे इंडिया’ के अलावा क्रि केटर महेंद्र सिंह धोनी, अभिनेता आमिर खान और लालू यादव के रेल मंत्री रहने के दौरान भारतीय रेलवे को भी समय समय पर आईआईएम जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों में केस स्टडी का हिस्सा बनाया जा चुका है। बहरहाल, एडगुरु प्रहलाद कक्कड़ मानते हैं कि हजारे एक ब्रांड से ज्यादा आज की परिस्थिति में बदलाव की प्रतिमूर्ति हैं। प्रबंधन गुरु मनीष पांडेय ने कहा कि आम जनता के अलावा प्रबंधन क्षेत्र के दिग्गजों और छात्रों के अंदर भी अन्ना हजारे, उनके आंदोलन, आंदोलन के संचालन, वहां मौजूद जनता के अनुशासन की प्रवृत्ति को जानने की जिज्ञासा है(राष्ट्रीय सहारा,दिल्ली,27.8.11)।

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