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25 अगस्त 2011

महाराष्ट्रःनिजी विश्वविद्यालय विधेयक में बदलाव की मांग

विधानमंडल के मानसून अधिवेशन में विधेयक पास कर सरकार ने राज्य में निजी विश्वविद्यालयों को शुरू करने का रास्ता तो साफ कर दिया। लेकिन विधेयक में पिछड़ी जातियों के लिए आरक्षण का प्रावधान नहीं रखा है। इसे शामिल करने की मांग तेज हो रही है।

लोकनिर्माण मंत्री छगन भुजबल ने इस सिलसिले में मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण और उपमुख्यमंत्री अजीत पवार को पत्र लिखा है। इसमें उन्होंने दोनों से इस कानून में पिछड़ी जातियों के लिए आरक्षण लागू करने की मांग की है।

श्री भुजबल ने पत्र में लिखा है कि निजी विश्वविद्यालय विधेयक को हाल के मानसून सत्र में पास कर दिया गया। लेकिन विधेयक में अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और पिछड़ा वर्ग को आरक्षण देने का प्रावधान मौजूद नहीं है।


इससे पहले जब विधेयक को विधानमंडल की संयुक्त संसदीय समिति के पास विचार-विमर्श के लिए भेजा गया था, तब भी पिछड़ा वर्ग को आरक्षण देने के बारे में कोई विचार नहीं किया गया। उन्होंने लिखा है कि 2006 में विधेयक का मसौदा प्रकाशित होने के बाद से मैं विधेयक में पिछड़े जातियों के लिए आरक्षण की मांग कर रहा हूं। लेकिन उसके पास होने तक प्रारूप में बदलाव नहीं किए गए। लोकनिर्माण मंत्री ने लिखा कि निजी विश्वविद्यालयों में आरक्षण देने को लेकर चौतरफा मांग हो रही है। 

इसके मद्देनजर विधेयक में उचित संशोधन कर उसमें आरक्षण का प्रावधान किया जाए। बता दें कि मानसून सत्र में यह विधेयक बिना किसी चर्चा के पास हो गया था। 

मावल पुलिस फायरिंग के खिलाफ विधानसभा और विधानपरिषद में विपक्ष के हंगामे के बीच सरकार ने विधेयक को जल्दबाजी में मंजूर कर दिया था। बाद में कई मंत्री और विधायकों ने इस पर आपत्ति जताई थी(दैनिक भास्कर,मुंबई,25.8.11)।

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