मुख्य समाचारः

सम्पर्कःeduployment@gmail.com

10 अगस्त 2011

मध्यप्रदेशःछात्र नहीं बनना चाहते डेंटिस्ट,अगले महीने फिर होगी काउंसिलिंग

प्रदेश के विद्यार्थियों में डेंटिस्ट बनने को लेकर रुझान तेजी से कम होता जा रहा है। सरकारी डेंटल कॉलेज में दाखिले का अवसर मिले, तब भी वे तैयार नहीं हैं। यही कारण है कि प्रदेश के सरकारी डेंटल कॉलेज में बीडीएस की 60 फीसदी सीटें खाली रह गई हैं। पीएमटी काउंसलिंग में शामिल होने वाले उम्मीदवारों की मानसिकता में यह बदलाव इसी साल हुआ है, जिसकी पुष्टि पीएमटी काउंसलिंग की क्लोजर रिपोर्ट ने भी की है।

रिपोर्ट के मुताबिक इंदौर स्थित प्रदेश के 40 सीटों वाले सरकारी डेंटल कॉलेज में काउंसलिंग के बाद 24 सीटें खाली रह गई हैं, जबकि पिछले साल तक पहले दौर की काउंसलिंग में ही ये सीटें भर जाती थीं। चिकित्सा शिक्षा विभाग के अधिकारी विद्यार्थियों की पसंद में आए इस बदलाव के लिए सरकार को जिम्मेदार मानते हैं।


उनका तर्क है कि बीडीएस डिग्री धारक विद्यार्थी को न तो सरकारी नौकरी मिलती है और न ही प्राइवेट प्रैक्टिस के लिए सही मौके। वहीं एमबीबीएस पूरा करने के तुरंत बाद छात्र को सरकारी नौकरी मिल जाती है। इसके अलावा इन विद्यार्थियों के पास सरकारी नौकरी छोड़कर प्राइवेट प्रैक्टिस का विकल्प भी रहता है। इस कारण विद्यार्थी अब बीडीएस नहीं करना चाहते। इधर सरकार ने खाली रहीं 24 सीटें भरने के लिए सितंबर में दूसरे दौर की काउंसलिंग कराने का फैसला किया है।

नहीं मिलता रोजगार
मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया के रिटायर्ड कार्यकारी अध्यक्ष डॉ. बीसी छपरवाल ने बताया कि बीडीएस को लेकर विद्यार्थियों के घट रहे रुझान घटने की वजह डिग्री के बाद रोजगार न मिलना है। उन्होंने बताया कि बीई, बीटेक, बीबीए के बाद डिग्री धारक को प्राइवेट नौकरी मिल जाती है, लेकिन बीडीएस विद्यार्थी के साथ ऐसा नहीं होता। उन्होंने बताया कि सरकार को चाहिए कि वह सरकारी अस्पतालों में डेंटिस्ट के पद स्वीकृत कर डिग्री धारकों को रोजगार उपलब्ध कराए। तभी डेंटिस्ट्री के प्रति विद्यार्थियों का रुझान बढ़ेगा।

सरकारी डेंटल कॉलेज में 24 सीटें खाली
सरकारी अस्पतालों में खाली हैं डेंटिस्ट के 69 पद : प्रदेश के 50 जिला अस्पतालों में दंत शल्य चिकित्सक (डेंटिस्ट) के 144 पद हैं, जिनमें से 69 पद 5 साल से खाली पड़े हैं। स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों के मुताबिक सभी खाली पद आरक्षित वर्ग के उम्मीदवारों के हैं।

भर्ती करे सरकार 
संयुक्त संचालक चिकित्सा शिक्षा डॉ. एनएम श्रीवास्तव ने बताया कि दांत से जुड़ी बीमारियों के 80 फीसदी मरीज गांवों में होते हैं, लेकिन गांव के अस्पतालों में डेंटिस्ट नहीं होते। सरकार को गावों में मेडिकल ऑफिसर के अलावा एक डेंटिस्ट की नियुक्तिकरनी चाहिए। ऐसा करने से डेंटिस्ट्री को लेकर रुझान बढ़ेगा(रोहित श्रीवास्तव,दैनिक भास्कर,भोपाल,10.8.11)।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

टिप्पणी के बगैर भी इस ब्लॉग पर सृजन जारी रहेगा। फिर भी,सुझाव और आलोचनाएं आमंत्रित हैं।