मुख्य समाचारः

सम्पर्कःeduployment@gmail.com

12 अगस्त 2011

चंडीगढ़ के एसडी कॉलेज का फरमानः भड़काऊ ड्रेस पहना तो क्लास से बाहर

कॉलेज आना है तो सभ्य कपड़े पहन कर आएं। भड़काऊ ड्रेस नहीं चलेगी। यदि कोई स्टूडेंट ऐसी ड्रेस पहनकर आया तो उसे क्लास से बाहर कर दिया जाएगा।

एसडी कॉलेज सेक्टर 32 ने स्टूडेंट्स के लिए यह नोटिस जारी किया है। यही नहीं पिछले दिनों, कॉलेज की दो पोस्टग्रेजुएट क्लासेस से तीन गर्ल स्टूडेंट्स को ऐसी ड्रेस पहनने पर क्लास से बाहर भी किया गया है। एसडी कॉलेज शहर का पहला ऐसा कॉलेज है जिसने नए सेशन में यह फरमान सुनाया है।


इस फैसले ने स्टूडेंट्स विशेषकर गर्ल्स को परेशानी में डाल दिया है। उन्हें समझ नहीं आ रहा कि टीचरों की नजर में कौन सी ड्रेस सभ्य होगी और कौन सी भड़काऊ। कॉलेज की कई स्टूडेंट्स जहां इसे मैनेजमेंट का तुगलकी फरमान मान रही हैं, वहीं कुछ इसके पक्ष में भी हैं।

शहर के प्रतिष्ठित कॉलेजों में से एक एसडी कॉलेज में 2000 से अधिक स्टूडेंट्स हैं तथा कॉलेज में गर्ल स्टूडेंट्स की संख्या ही 500 से अधिक है। कॉलेज में ग्रेजुएट से लेकर पोस्टग्रेजुएट क्लास तक में गर्ल स्टूडेंट्स पढ़ रही हैं। कॉलेज के नोटिस बोर्ड पर नोटिस लगाने के साथ-साथ इन स्टूडेंट्स को क्लास में भी टीचरों ने सोबर कपड़े पहनकर आने का फरमान सुना दिया है।

एक कॉलेज में पाबंदी

शहर के अधिकांश कॉलेजों में किसी प्रकार की कोई ड्रेस कोड लागू नहीं है। शहर के केवल एक कॉलेज में ड्रेस कोड है। बाकी सभी कॉलेजों में स्टूडेंट्स को अपनी मर्जी के कपड़े पहनकर आने की छूट है।

क्लास या कैटवॉक

नया सेशन शुरू होते ही शहर के कॉलेजों में लेटेस्ट फैशन की होड़ लगी है। हालत यह है कि शहर के कई कॉलेजों में स्टूडेंट्स ऐसी ड्रेस पहनकर आ रही हैं, जो क्लास के बजाय रैंप के लिए बनी लगती हैं।

क्या है सभ्य व भड़काऊ की परिभाषा: स्टूडेंट्स

कॉलेज अथॉरिटी का यह सही निर्णय है। लड़कियां सिंपल और सोबर ड्रेस पहनें, जिससे कॉलेज का डेकोरम बना रहे। हम स्टूडेंट्स को बता रहे हैं कि सोसाइटी में कैसे रहना चाहिए। -आशिमा धीर, एचओडी, मास कम्युनिकेशन

इस नोटिस के बारे में सुनकर अच्छा नहीं लगा। हमारे देश में इतनी आजादी तो है कि लड़कियां अपनी पसंद के कपड़े पहन सकें। - कंवलजीत

गर्ल्स को कैजुअल ड्रेस की परमिशन होनी चाहिए लेकिन ड्रेस ऐसी हो जो, सभ्य हो। ऐसी ड्रेस न हो जिसे पहनने पर लड़के कमेंट करें। - जैसमीन, स्टूडेंट

यह कैसे तय होगा कि कौन सी ड्रेस सही है और कौन सी गलत। स्टूडेंट्स को ड्रेस पर रोकटोक गलत है। हम खुद को भी अपटूडेट रखना चाहते हैं। - मनमीत, स्टूडेंट

कॉलेज में कैजुअल ड्रेस नहीं होनी चाहिए। ऐसी ड्रेस घर के लिए ही ठीक है। ड्रेस सिंपल एंड सोबर होने के साथ-साथ इम्प्रेसिव होनी चाहिए। - रेखा, स्टूडेंट

हम बता रहे हैं कैसे रहना है सोसाइटी में: एचओडी

हमने कॉलेज में ड्रेस कोड लागू किया है। एक दिन स्टूडेंट्स को फॉर्मल्स पहनने की इजाजत है, जो सभ्य होने चाहिए। ज्योति खन्ना, प्रिंसिपल, देव समाज कॉलेज ड्रेस कोड के बारे में कुछ नहीं कहना चाहती, लेकिन स्टूडेंट्स को डीसेंट ड्रेस पहनकर कॉलेज आना चाहिए। अचला डोगरा, प्रिंसिपल, जीसीजीलड़कियों को समझाना चाहिए न कि उन्हें फाइन करें और क्लास से निकालें। ड्रेस कोड को लेकर कॉलेज को तानाशाही नहीं करनी चाहिए- कविता कैले 

हर किसी के देखने का नजरिया अलग

हर व्यक्तिदेखने का नजरिया अलग होता है। एक ही ड्रेस किसी को सही लग सकती है और किसी को गलत। यदि कॉलेज प्रशासन को परेशानी हो रही है, तो वह पूरी तरह ड्रेस कोड लागू कर दे या फिर स्टूडेंट्स पर ही छोड़े दे कि उन्हें क्या ड्रेस पहननी है। मिकी छाबड़ा, ड्रेस डिजाइनर(दैनिक भास्कर,चंडीगढ़,12.8.11) 

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

टिप्पणी के बगैर भी इस ब्लॉग पर सृजन जारी रहेगा। फिर भी,सुझाव और आलोचनाएं आमंत्रित हैं।